मधेपुरा/बिहार: मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग के तत्वावधान में पटना स्थित अभिलेख भवन सभागार, बेली रोड में दो दिवसीय सृजनात्मक लेखन (कथेतर गद्य साहित्य) कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।
इस कार्यशाला में प्रथम पचास चयनित आवेदकों को ही भाग लेने का अवसर प्रदान किया गया था, जिनमें मधेपुरा के डॉ. विभीषण कुमार का भी नाम शामिल था। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग(राजभाषा) से कॉल आने के बाद उन्होंने इसमें भागीदारी सुनिश्चित की।
कार्यशाला के पहले दिन कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किए गए। पहले सत्र के वक्ता डॉ. दिव्यानंद (जेपी कॉलेज, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर) रहे। दूसरे सत्र में डॉ. आशा (मगध महिला कॉलेज, पटना) ने विचार व्यक्त किए, जबकि तीसरे सत्र में वक्ता डॉ. नेहा सिन्हा (अध्यक्ष, हिंदी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना) ने की।
दूसरे दिन कार्यक्रम को मुख्य रूप से दो सत्र में आयोजित किये गए। प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा(महाराष्ट्र) के पूर्व कुलपति डॉ. कृष्ण कुमार सिंह रहे। दूसरे सत्र का व्याख्यान जेपी विश्वविद्यालय छपरा के हिंदी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. अनिता ने प्रस्तुत किया।
अंतिम चरण में प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया तथा कार्यशाला के समापन की घोषणा हुई।
कार्यक्रम के दूसरे दिन के अंतिम सत्र में डॉ. विभीषण कुमार ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने सृजनात्मक लेखन को सामाजिक यथार्थ और परिवर्तन का सशक्त साधन बताया तथा युवा लेखकों को साहित्य में नए प्रयोग करने की प्रेरणा दी।
अंतिम चरण में प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया तथा कार्यशाला के समापन की औपचारिक घोषणा की गई। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के निदेशक डॉ. एसएम परवेज एवं विभाग के पूर्व निदेशक सुमन कुमार भी उपस्थित रहे।
दो दिवसीय कार्यशाला का संचालन डॉ. ओमप्रकाश वर्मा, उप सचिव, राजभाषा विभाग ने किया।
पाँच प्रतिभागियों से उनके अनुभव एवं फीडबैक भी साझा कराए गए, जिनमें प्रतिभागियों ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायी बताया।
इसके उपरांत धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती विनीता कुमारी, उप निदेशक, राजभाषा विभाग ने प्रस्तुत किया।
अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
मालूम हो कि डॉ. विभीषण कुमार ने हाल ही में बीएनएमयू से यूजीसी-नेट, जेआरएफ और एसआरएफ के साथ पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है।
विगत दिनों टीपी कॉलेज में उनकी विमोचित पुस्तक “हिंदी नाटकों में दलित अस्मिता” व्यापक रूप से सराही गई और देशभर से इसकी प्रतियाँ मंगवाई गईं। वे इन दिनों निरंतर लेखन कार्य में सक्रिय हैं और शीघ्र ही उनका उपन्यास तथा कहानियों का संग्रह प्रकाशित होने वाला है।
मंत्रिमंडल सचिवालय(राजभाषा) विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में भाग लेने पर डॉ. विभीषण कुमार को बधाई एवं शुभकामनाएँ देने वालों में डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. जैनेन्द्र कुमार, डॉ. रंजन कुमार, डॉ. सारंग तनय, राजनंदन कुमार ‘राणा’,शोधार्थी नरेश कुमार, चंचल यादव, डॉ ललन कुमार, डॉ अमर कुमार, डॉ सौरभ कुमार सहित अन्य साहित्यकारों व शोधकर्ताओं के नाम शामिल हैं।।
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