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सोमवार, 25 अप्रैल 2022

कॉलेज कैम्पस:"मनोविज्ञान के किताबी ज्ञान को रटकर मन में नहीं बैठाएं,बल्कि उनके सिद्धांतों को समझकर जीवन में उतारें"...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: मनोविज्ञान सैद्धांतिक से अधिक व्यावहारिक शास्त्र है। मनोविज्ञान के किताबी ज्ञान को रटकर मन में नहीं बैठाएं, बल्कि उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें। हम मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को समझकर अपने जीवन में उतारेंगे, तो हम अपनी सभी समस्याओं का समाधान कर लेंगे।
उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व कुलपति डॉ.एन.के.वर्मा ने कही।
वे रविवार को "स्वास्थ्य, समाज एवं मनोविज्ञान : समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान" विषयक सेमिनार के समापन समारोह में बोल रहे थे। 
उन्होंने कहा कि यदि हम मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे, तो हम अपने को और अपने समाज को बेहतर तरीके से समझ सकें। हम आनंदित रहेंगे और हमारे समाज एवं राष्ट्र का विकास भी होगा। उन्होंने कहा कि हमारे व्यक्तिगत जीवन एवं सामाजिक जीवन में बहुत सारी समस्याएँ हैं। मनौविज्ञान में उन सभी समस्याओं का समाधान है। 
उन्होंने कहा कि अधिकांश समस्याएँ इसलिए उत्पन्न होती है कि हम अपनी ओर नहीं देखते, हम दूसरे की ओर देखते है। उससे अपेक्षा करते हैं, उसकी गलतियों को ढूँढ़ते है। तो दूसरे को देखते हैं लेकिन उसको समझने की कोशिश नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें पहले अपने मन को समझना होगा।
जब हम अपने को समझेंगे, तो हम दूसरें को समझ सकते हैं। हम अपने को समझे बिना, दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं, तो हम उलझन में पड़ जाते हैं। 
कार्यक्रम का आयोजन स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग, टीपी कॉलेज, मधेपुरा के तत्वावधान में किया गया।
पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. जनार्दन प्रसाद यादव ने कहा कि मन से ही शरीर चलता है। हम मन को सही दिशा देंगे, तो शरीर भी सही दिशा में चलेगा। मन स्वस्थ रहेगा, तो शरीर भी स्वस्थ हो जाएगा।
के.पी. कालेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि बुद्धिजीवियों को आम जनता के हित में कार्य करने की जरूरत है। क्योंकि किसी भी ज्ञान का तभी उपयोग है जब वह आम जनता से जुड़े।
मुख्य अतिथि भारतीय मनोवैज्ञानिक संघ के अध्यक्ष डॉ. तारणीजी ने कहा कि मनोविज्ञान के लाभों को आम लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है।
● स्वास्थ्य जागरूकता पुस्तिका का वितरण:
इस अवसर पर बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना  की ओर से संचालित सेहत केंद्र के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता से संबंधित बैनर-पोस्टर लगाए गए और पर्चा एवं पुस्तिका का वितरण किया गया। प्रतिभागियों के बीच एचआइवी एवं एड्स विषय पर जागरूकता बढ़ाने तथा स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित किया गया है। इसके अलावा पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, मादक पदार्थ के दुरूपयोग से हानि, गैर संचारी रोग, कम उम्र में गर्भधारण से हानि, सही समय पर विवाह के लाभ आदि पर विस्तृत जानकारी दी गई।
● दिए गए कई अवार्ड:
समारोह में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश प्रसाद यादव‌ को डॉ. बी. झा सुमन स्मृति पुरस्कार और परीक्षा नियंत्रक प्रो.आर.पी. राजेश को डॉ. रामचंद्र प्रसाद यादव स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आईपीए की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने  विद्वानों को गोल्ड मेडल प्रसिडेंसी अवार्ड और बेहतर पेपर प्रजेंटेशन के लिए शोधार्थियों को एकेडमिक एक्सलेंसी अवार्ड  से सम्मानित किया गया। अंत में राष्ट्रगान जन-गण-मन के सामूहिक गायन के साथ सेमिनार संपन्न हुआ
कार्यक्रम की अध्यक्षता
प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव  और संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक प्रो.आर.पी.राजेश ने किया। 
इस अवसर पर एमएलटी कालेज, सहरसा के प्रधानाचार्य डॉ. डी. एन. झा, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डू कुमार, डॉ. कृष्ण कुमार (मधेपुरा) सहित दर्जनों शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।।

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