मधेपुरा/बिहार: बीएन मंडल विवि में अब लॉ की पढ़ाई और परीक्षा पर कानूनन रोक लगा दी गई है। यहां न्यायदेश के विरुद्ध लॉ कालेज सहरसा ने बीसीआई से बिना एफलिएशन के छात्रों का एडमिशन ले लिया और विवि ने परीक्षा भी आयोजित कर दी। कोर्ट ने भी यहां नामांकन की अनुमति नहीं दी है। इससे पहले कालेज ने बिना मान्यता के सत्र 2019-21 में छात्रों का नामांकन ले लिया है। कालेज इस कारनामे पर विवि ने आंख मूंद कर प्रथम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर दी। इसके बाद फिर सेकेंड ईयर की परीक्षा फरवरी में लेने की तैयारी विवि कर रही थी।
इस बीच पटना हाई कोर्ट के हालिया आदेश से विवि प्रशासन सकते में हैं। उन्हें उच्च न्यायालय के अवमानना का भी डर सता रहा है। हालांकि पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद विवि की आंख खुली है। अब विवि ने अपना रुख स्पष्ट किया है कि न्यायालय आदेश का अनुपालन किया जाएगा और परीक्षा नहीं ली जाएगी। वहीं बताया गया कि विवि के एक अंगीभूत व एक संबद्ध इकाई मिला कर केवल दो कालेजों में कानून की पढ़ाई होती है। लेकिन इन्हें बीसीआई,नई दिल्ली से पहले ही मान्यता नहीं मिली है। अंगीभूत इकाई आरएमएम विधि कालेज सहरसा की मान्यता बीसीआई ने रद्द कर दिया है। एसएनपीएम लॉ कालेज मधेपुरा को भी उच्च न्यायालय पटना से सत्र 21-22 में नामांकन की अनुमति नहीं मिली है। विवि से मिली जानकारी के अनुसार दोनों कालेज में विधि की 180-180 कुल 360 सीट पूर्व से निर्धारित थी। इन नामांकित छात्रों के भविष्य अब अंधकारमय हो गया है। हालांकि लॉ कालेज सहरसा के तत्कालीन प्राचार्य केशव कुमार श्रीवास्तव ने तत्कालीन कुलसचिव को पत्र भेज कर कालेज में सत्र 2019-20 में मान्यता बहाल रखने और बीसीआई का निरीक्षण शुल्क दो लाख 50 हजार स्थानांतरण करने की मांग की। लेकिन विवि की लेट लतीफी रवैये के कारण बीसीआई का निरीक्षण नहीं हो सका। अब निर्धारित तिथि के बाद निरीक्षण के लिए आवेदन करने पर कोर्ट से इनकी मान्यता बहाल नहीं हो सकी।
● बीएड के बाद अब कानून की पढ़ाई पर मंडरा रहा है संकट:
बीएनएमयू में बीएड के बाद अब कानून की पढ़ाई पर संकट मंडरा रहा है। यहां मान्यता नहीं मिलने से कानून की पढ़ाई बंद होने के कगार पर है। यहां के एक मात्र अंगीभूत आरएमएम ला कालेज सहरसा की मान्यता को बहाल रखने में विवि विफल रही। इस कालेज की मान्यता सत्र 2019-20 से रद्द है। अब इस पर हाईकोर्ट की मुहर लग गई है। कोर्ट ने यहां 2019 में ही नामांकन पर रोक लगा दी थी।
निर्देश के बाद भी उस सत्र में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित कर परिणाम घोषित किया गया। वहीं छात्रों का नामांकन लेकर परीक्षा ली गई।
● इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा होने और अनुमति मिलने तक लगी थी रोक:
मालूम हो कि साल 2019 में हाई कोर्ट पटना में दायर रिट याचिका सीडब्ल्यूजेसी संख्या- 3636 में पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर बार काउंसिल आफ इंडिया,नई दिल्ली ने राज्य के सभी लॉ कालेजों की जांच की थी। जांच रिपोर्ट पर बार काउंसिल आफ इंडिया(बीसीआई) की कानूनी शिक्षा समिति की स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट के अवलोकन के बाद न्यायालय ने लॉ कालेजों की इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा होने और न्यायालय की अनुमति मिलने तक नए सत्र में नामांकन नहीं लेने का आदेश जारी किया था। कोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य के सभी कालेजों में नया नामांकन रुका रहा। लेकिन सहरसा के आरएमएम लॉ कालेज में सेशन 2019-20 में नामांकन और परीक्षा लिया गया।
●आरएमएम ला कालेज में इंफ्रास्ट्रक्चर का है घोर अभाव:
जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार आरएमएम ला कालेज में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव है। कालेज को प्रत्येक कक्षा में 60 छात्रों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त आकार के कुल 9 कक्षाओं को आवश्यकता थी,
जबकि यहां केवल 5 कक्षाएं हैं। मौजूदा पाठ्यक्रम के लिए यूजीसी/ राज्य सरकार के वेतनमान के 14 फैकल्टी होने चाहिए जबकि इस कालेज में इस वेतनमान के एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है ।
● हाइकोर्ट के हालिया आदेश से बीएनएमयू को लगा झटका:
पटना हाईकोर्ट ने बार काउंसिल आफ इंडिया के अनुमति /अनापत्ति प्रमाण पत्र के आलोक कहा है कि लॉ की पढ़ाई को नियमित और व्यवस्थित करने के उद्देश्य से यह कवायद किया जा रहा है। कोर्ट ने बीसीआई को निर्देश दिया कि कालेज में दाखिले की अनुमति देने से पहले सुनिश्चित कर लें कि संबंधित ला कालेज ना सिर्फ बीसीसीआई के मानदंड बल्कि बिहार सरकार, केंद्र सरकार एवं संबंधित यूनिवर्सिटी से जारी हुए निर्धारित अहर्ताओं को भी पूरा करती हो।
अनुमति देने में बीसीआई उन नियमों में किसी भी तरह की ढील नहीं देगी। कोर्ट के इस आदेश से छात्रों को थोड़ी राहत मिलेगी। लेकिन हाइकोर्ट के हालिया आदेश से बीएनएमयू को बड़ा झटका लगा है। इससे अब बीएनएमयू से ला करना छात्रों के लिए सपना सपना रह गया है।
बीएनएमयू के कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश व बीसीआई के निर्देश का अवलोकन कर विवि अग्रतर कार्रवाई करेगी।
परीक्षा नियंत्रक प्रो आर पी राजेश ने कहा कि विवि प्रशासन मामले की हरेक बिंदु पर जांच पड़ताल कर ही ला की कोई परीक्षा आयोजित करेगी।।।
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