मधेपुरा/बिहार: माध्यमिक शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा के उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी माना जाता है। प्राथमिक में सीखे गए ज्ञान को माध्यमिक विद्यालय में ही सही आधार मिलता है तो बच्चे उच्च शिक्षा के लिए बेहतर रूप से तैयार हो पाएंगे।
उक्त बातें बीएनएमयू के रिसर्च स्कॉलर सह एसएफआई के विश्वविद्यालय प्रभारी सारंग तनय ने कही।
उन्होंने कहा कि यदि माध्यमिक स्तर पर 10वीं व 12वीं स्तर पर यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ना मिल सके तो छात्रों के पास मूलभूत ज्ञान की कमी हो जाती है। राज्य सरकारें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था हेतु संकल्पित तो दिखती है,
प्रत्येक पंचायत में हाई स्कूल खोले गए,हाई स्कूलों को प्लस टू में अपग्रेड किया गया, दूर से आने वाले बच्चों के लिए साइकिल दी गई, इन सभी प्रयासों से बच्चों का नामांकन तो हुआ लेकिन धरातल पर बच्चों को सब कुछ मिलते हुए कुछ ना कुछ मिला तो वे रह गए छात्र शिक्षक के अनुपात में योग्य शिक्षक।
स्कूलों को तो उत्क्रमित किया गया, मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में, उच्च विद्यालयों को उच्चतर विद्यालयों में, लेकिन विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति को पूरी करना चुनौती बनी रही। राज्य में छठे चरण में 30 हजार माध्यमिक शिक्षकों की प्रक्रिया शुरू तो वर्षों पहले हुई लेकिन आज तक मझधार में ही है ।
दूसरी बात यह है कि इसमें एसटीइटी 2012 उत्तीर्ण अभ्यर्थी को ही हिस्सा लेना था। अधिकांश विषयों में इनकी संख्या नाम मात्र की थी जिससे आवेदन भी बहुत कम आए, यदि यह भर्ती हो भी जाती है मुख्य विषयों के पदों का रिक्त रहना तय ही है।
शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए एसटीईटी परीक्षा 2019 का आयोजन की सहमति बनी विज्ञापन में यह पात्रता सह भर्ती परीक्षा का प्रारूप दिया गया जिसमें विषय के रिक्तियों के अनुसार कोटि बार श्रेणी में घटते क्रम में रिक्ति के बराबर अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करना था। परीक्षा लेने के बाद एन रिजल्ट के वक्त इस परीक्षा को अनियमितता का हवाला देते हुए बीएसईबी द्वारा रद्द कर दिया जाता है ,
फिर ऑनलाइन मोड में सितम्बर 2020 में परीक्षा होती है लंबे इंतजार के बाद रिजल्ट के समय फिर पता चलता है कि माननीय उच्च न्यायालय के आलोक 106 परीक्षार्थियों के पुनः परीक्षा ली जाए। अब इस परीक्षा में तीन विषय के अभ्यर्थी को शामिल होना था जो बोर्ड ने 12 मार्च 2021 में तीन विषयों विज्ञान, संस्कृत व उर्दू को छोड़कर सभी विषयों का परीक्षाफल प्रकाशित कर दिया। और शेष विषय का परीक्षा परिणाम 106 परीक्षार्थियों के अप्रैल में परीक्षा लेकर मई के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट जारी करने की अधिकारिक बातें कही गई । परीक्षा तो अप्रैल में हो गई किंतु मई के पहले सप्ताह में आने वाला परिणाम अभी तक लंबित ही है। रिजल्ट व बहाली को ले सूबे के अभ्यर्थियों द्वारा ट्वीटर कैम्पेन 2 जून को चलाया जाएगा।
यहां बताते चलें कि प्लस टू स्कूलों में लगभग 12170 रिक्तियों के मुकाबले लगभग 8531 एवं हाई स्कूल के रिक्ति में भी जिन विषयों का रिजल्ट आया है उनमें लगभग 16 हजार अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। अब इस परिणाम के मायने यह है कि प्लस टू स्कूल विद्यालयों में अभी भी सीट भरने की उम्मीद नहीं है। माध्यमिक में यदि सरकार व विभाग तत्परता के साथ बचे तीन विषयों का रिजल्ट देकर बहाली प्रक्रिया शुरू कर दी है तो कोविड-19 बाद स्कूलों के खुलने से पहले विद्यालयों को शिक्षक मिल सकेंगे।
इस परीक्षा के सभी अभ्यर्थी, योग्य, प्रशिक्षित व कुशल होंगे क्योंकि बिहार में पहली बार माध्यमिक पात्रता परीक्षा में सिर्फ बीएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को ही शामिल किया गया था , एवं ऑनलाइन मोड में परीक्षा ली गई। इसमें मात्र 16% अभ्यर्थियों का ही औसतन रिजल्ट हो पाया । लेकिन इन सभी के बीच बड़ी बात यह आती है कि आखिर विद्यालयों को कब मिलेंगे यह शिक्षक!
दूसरी और एसटीईटी परीक्षा 2019 क्वालीफाई अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की आस में वर्षों इंतजार किया है।
सारंग तनय ने कहा कि बिहार में पिछले 5-6 वर्षों से कोई भी स्थायी बहाली हुई ही नहीं है। जहां पूरे देश में सबसे अधिक शिक्षकों के पद लगभग तीन लाख से अधिक रिक्त पद बिहार में ही हैं। इसमें माध्यमिक स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात और भी दयनीय है, शिक्षकों की कमी से छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता पर साफ असर पड़ा है, बांकी
किसी तरह कोचिंग करके रिजल्ट बच्चे प्राप्त करते थे जो कि पिछले 2 सत्रों से कोविड-19 महामारी में बंद ही है ।
ऐसे में अब इन बच्चों के भविष्य की जिम्मेवारी कौन तय करेगा? शिक्षक अभ्यर्थियों की प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक नियोजन की कहानी काफी हैरान करती है, 2 साल पहले बहाली निकलती है लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से आज तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है और ना जाने कब तक पूर्ण होगी। इतने बड़े बेरोजगारी व महामारी आपदा में इन अभ्यर्थियों दैनिक जीवन काफी प्रभावित हुआ है। कई अभ्यर्थी इस कोरोना काल में अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए । ऐसे में अब कोरोना की रफ्तार धीमी हो रही है तो राज्य सरकारों को इन अभ्यर्थियों की सुधि लेनी चाहिए। प्राथमिक की बहाली पूरी करने में सरकार द्वारा कुछ तेजी दिखाई जा रही है । इसी प्रकार शिक्षा विभाग आगे एसटीइटी -2019 क्वालीफाई अभ्यर्थियों की नियुक्ति माध्यमिक विद्यालयों में शीघ्र कैसे हो इस पर रोडमैप तेजी से तैयार करें, साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से सारंग तनय ने मार्मिक अपील की है कि मात्र 106 अभ्यर्थियों के रिजल्ट के साथ तीन विषयों के रिजल्ट प्रभावित हो रहे हैं तो इस पर शीघ्रता से अमल करते हुए वे एसटीईटी के बचे विषयों का रिजल्ट अविलंब जारी करें, ताकि आगे हाईस्कूल व प्लस टू स्कूलों को छात्रों को 37440 योग्य विषयवार शिक्षक मिल सके। यदि यह नियोजन शीघ्र पूरी हो जाती है तो कोविड-19 बंदी से बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में यह शिक्षक अपने राज्य सरकार वह शिक्षा विभाग के साथ मिलकर बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।।
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