● Sarang Tanay@BNMU.
मधेपुरा/बिहार: नोवेल कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से वर्तमान विश्व संत्रस्त है। इसका शिक्षा एवं समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही।
वे शुक्रवार को "कोरोना संक्रमण का शिक्षा एवं समाज पर प्रभाव" विषयक सेमिनार/ वेबिनार में बोल रहे थे। यह आयोजन दर्शन परिषद्, बिहार के तत्वावधान में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित किया गया।
कुलपति ने कहा कि उच्च शिक्षा का नया वर्चुअल रूपांतरण हुआ है। भारत जैसे समाज में हमें गरीब, उपेक्षित और दूरस्थ क्षेत्रों में बसे समाजिक समूहों में इंटरनेट रखने, इस्तेमाल करने एवं सतत कनेक्टिविटी बनाए रखने पर जोर देना होगा।
शिक्षकों के एक बड़े वर्ग को भी डिजिटल माध्यमों के नवाचारी उपयोगों में खुद को दक्ष बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में जो संकट है, हम उससे सीख लें। हम अपनी जड़ों की ओर लौटें। भारतीय सभ्यता-संस्कृति की ओर लौटें। प्रकृति की ओर लौटें। यही हमारे सुरक्षित भविष्य का एक मात्र मार्ग है। इसके अलावा कोई दूसरा मार्ग नहीं है।
पूर्व सांसद एवं संस्थापक कुलपति प्रोफेसर डाॅ. रमेन्द्र कुमार रवि ने कहा कि भारतीय दर्शन में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना है। हम अपरिग्रह में विश्वास करते हैं। भारतीय दर्शन में ही सभी समस्याओं का समाधान है।
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा ने कहा कोरोना वायरस ने किसी को नहीं छोड़ा है। इसने विश्व को आक्रांत कर दिया है। लेकिन हम इसकी दवा बनाने में कामयाब होंगे।
इस अवसर पर सिंघानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान के कुलपति प्रोफेसर डा सोहनराज तातेड़ ने कहा कि प्रकृति हमारी मां है। हमारा जीवन इस पर निर्भर है। आज हमने प्रकृति मां से दूरी बना लिया है। कोरोना संक्रमण इसका परिणाम है।
इस अवसर पर मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ कुसुम कुमारी, श्रीनगर-गढवाल की डाॅ. इंदू पांडेय खंडूड़ी, कोलकोता की डाॅ. गीता दूबे, दर्शन परिषद्, बिहार के अध्यक्ष डाॅ. बी. एन. ओझा एवं महामंत्री डाॅ. श्यामल किशोर, शिक्षा संकाय, टीएमबीयू, भागलपुर के अध्यक्ष डाॅ. राकेश कुमार, गाँधी विचार विभाग, टीएमबीयू, भागलपुर के अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार, सामाजिक विज्ञान संकाय अध्यक्ष डाॅ. आर के. पी. रमण, मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. उषा सिन्हा, कुलसचिव डा. कपिलदेव प्रसाद, डाॅ. जवाहर पासवान, डाॅ. अभय कुमार, डाॅ. राजीव रंजन, डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डाॅ. बुद्धदेव, डाॅ. संजीव कुमार झा, डाॅ. आनंद मोहन झा, रंजन यादव, सारंग तनय, विवेकानंद, मणीष कुमार, सौरभ कुमार चौहान, गौरब कुमार आदि उपस्थित थे। वेबीनार में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, नई दिल्ली आदि राज्यों से प्रतिभागियो ने भाग लिया।
● अध्यक्षता:
प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने किया।
संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया।
उन्होंने बताया कि प्रथम तीन वेबीनार कोरोना संक्रमण से संबंधित है। इसके अंतर्गत पहला वेबीनार 21 अगस्त, 2020 को "कोरोना का शिक्षा एवं समाज पर प्रभाव" विषय पर हुआ। दूसरा वेबीनार 24 अगस्त, 2020 को "कोरोना का अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण पर प्रभाव" विषय पर और तीसरा 28 अगस्त, 2020 को "कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव" विषय पर होगा।
इसके बाद चार से लेकर सात तक का व्याख्यान "शिक्षा" से संबंधित विषय पर होगा। चौथा वेबीनार
3 सितंबर, 2020 को "राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विविध आयाम", पांचवां
7 सितम्बर, 2020 को "भारतीय शिक्षा व्यवस्था : कल, आज और कल", छठा 11 सितंबर 2020 को "पोषण, स्वास्थ्य एवं साक्षरता", और सातवाँ 16 सितंबर, 2020 को "शिक्षा, समाज एवं शांति" विषय पर होगा। आठवाँ वेबीनार 21 सितंबर, 2020 को "भाषा, साहित्य एवं संस्कृति", नौवाँ 24 सितंबर, 2020 को "पोषण, पर्यावरण एवं पंचायत" और दसवाँ 28 सितंबर, 2020 : "सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र-निर्माण" विषय पर होगा।।
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