● मधेपुरा/बिहार: बीएनएमयू के रिसर्च स्कॉलर सह एसएफआई(SFI) के विश्वविद्यालय प्रभारी सारंग तनय ने कहा कि उच्च शिक्षा को ऑटोनॉमस बनाने के नाम पर पूरी तरह नई शिक्षा नीति 2020, निजीकरण का दूसरा नाम है। अब उच्च शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर होने वाली है। नई शिक्षा नीति पर बहस होना जरूरी था।
देश भर के शिक्षकों ने पॉलिसी के ड्राफ्ट पर सुधार के पॉइंट सुझाए थे, लेकिन बिना बहस के बदलाव के बगैर इसे लागू कर दिया गया। ना शिक्षक, ना स्टूडेंट्स समुदाय को इसमें शामिल किया गया। नेम ऑफ एक्सीलेंस और इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस के नाम पर फंडिंग बंद करेंगे।
शिक्षा बजट में सरकार का सब्सिडी बढ़ना चाहिए था,जो कि घट रहा है।सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि सामाजिक परिवर्तन हो, लेकिन इस तरह की शिक्षा नीति से जो अमीर है वो और अमीर होगा, वो एक्सक्लूसिव जोन में रहेगा, सामाजिक बदलाव ठप होगा।
UGC, AICTE और NCTE जैसी रेगुलेटरी बॉडी को खत्म करने की बात कही गई है।
नई शिक्षा नीति में GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करने की बात कही गई है, लेकिन अभी केंद्र व राज्य GDP का 4.43% ही शिक्षा पर खर्च कर रही है।
इससे पहले के भी शिक्षा नीति, चाहे वो 1968 या 1986 का हो सब में GDP का 6%खर्च करने का लक्ष्य रखा था,लेकिन वो आजतक धरातल पर उतर नहीं सका ?
न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 वर्तमान सरकार की निजीकरण और नौकरियों की ठेका प्रथा की नीति को सामने ले आई है।।
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