●सारंग तनय,
मधेपुरा:अपने पूर्वजों के इतिहास से सबक लेने की जरूरत है नहीं तो इतिहास को भुलाने वालों को इतिहास खुद भुला देता है,
मधेपुरा:अपने पूर्वजों के इतिहास से सबक लेने की जरूरत है नहीं तो इतिहास को भुलाने वालों को इतिहास खुद भुला देता है,
उक्त बातें मधेपुरा जिला मुख्यालय अंतर्गत अंबेडकर छात्रावास के प्रांगण में भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस के शुभ अवसर पर बीएन मंडल विश्वविद्यालय के सीनेट एवं सिंडिकेट सदस्य,डॉक्टर जवाहर पासवान ने कही। उन्होंने कहा कि आज से 202 वर्ष पहले यानी 1 जनवरी 1818 को पुणे से 20 किलोमीटर दूर भीमा नदी के किनारे भीमा कोरेगांव बसा है जहां बाजीराव पेशवा द्वितीय के अत्याचार एवं अमानवीय व्यवस्था के खिलाफ मुंबई नेटिव इन्फेंट्री महार रेजिमेंट के शूरवीर बहादुर सैनिकों ने युद्ध जीतकर अपने पूर्वजों के मान-सम्मान लौटाया था। आज उन्हीं का परिणाम है कि हम भारतीय सम्मान पूर्वक जिंदगी जी रहे हैं । आज के तारीख में हम लोगों को सामाजिक ईमानदार होने की जरूरत है यही उन लोगों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मनुवाद से त्रस्त हमारे महान पुरखों ने पेशवाई शासन के खिलाफ 31 दिसंबर 1817 को जंग छेड़ दी। उक्त बातें मधेपुरा जिला बामसेफ के पूर्व जिला अध्यक्ष सुभाष पासवान ने कहा उन्होंने कहा कि सुबह 9: 30 बजे जंग का एलान कर दिया 12:00 बजे तक लगातार जारी युद्ध के दौरान 500(पांच सौ) महार सैनिकों ने 28000 (अट्ठाइस हजार ) पेशवाई सैनिकों को मूली गाजर की तरह कत्ल कर विजय हासिल किया। इन सारी बातों की जानकारी बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर को इंग्लैंड के लाइब्रेरी में पढ़ने के दौरान पता चला था और वे इंग्लैंड से जब वापस आए तो सीधे भीमा कोरेगांव विजय स्तंभ को नमन करने गए जो 1851 के वीर सैनिकों के याद में अंग्रेज शासक ने बनवाया था। हर साल 1 जनवरी को बाबा साहब अंबेडकर अपने पुरखों के मजार पर शीश नवाने जाया करते थे ।आज हमें अपने पूर्वजों के कुर्बानी को अक्षुण्ण रखने की जरूरत है ।
कार्यक्रम का संबोधन सनोज कुमार, दृष्टि कुमारी, विकास कुमार, मंजू सोरेन इत्यादि ने किया। मोके पर छात्रावास के सभी छात्र मौजूद थे।


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