माया अध्यक्ष ने निहत्थे छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लठैतों से छात्रों को पीटने पर की निंदा, पूछा दस सवाल कहा हिम्मत है तो जबाब दे विश्वविद्यालय प्रशासन - News Express Now :: Hindi News, Latest News in Hindi, Breaking News, | हिन्दी न्यूज़ लाइव

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

माया अध्यक्ष ने निहत्थे छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लठैतों से छात्रों को पीटने पर की निंदा, पूछा दस सवाल कहा हिम्मत है तो जबाब दे विश्वविद्यालय प्रशासन

विवि. संवादाता
कल विश्वविद्यालय परिसर में घटित घटना निश्चित रूप से निंदनीय है और मैं इस घटना की कड़ी शब्दों में निंदा करता हूँ।परंतु इस घटना का बीजारोपण विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा ही किया गया । उपरोक्त बातें मधेपुरा यूथ एसोसिएशन(माया) के अध्यक्ष राहुल यादव ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा उन्होंने कहा कि संविदा पर नियुक्ति की सूचना की अखबारों के माध्यम से आम विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया । जिससे सैकड़ों छात्र इस अवसर का लाभ उठाने से चूक गए । ऐसा प्रतीत होता है कि यह नियुक्ति विश्वविद्यालय कर्मचारियों के बच्चों एवं उनके संबंधियों के लिए ही निकली गयी । जहां तक प्रतिकुलपति का सवाल है तो यह जगजाहिर है कि उनका अब तक का कार्यकाल विवादास्पद रहा है । घटना के दौरान निहत्थे छात्रों पर विश्वविद्यालय कर्मचारियों द्वारा लाठियों से प्रहार किया जाना निश्चित तौर पर शर्मनाक है । और तो और कुलसचिव महोदय का बयान उनके पद की गरिमा के विपरीत है ।



कुलसचिव महोदय यह बताने का कष्ट करें कि किस नियम का हवाला देकर वे कर्मचारियों को लाठी रखने का निर्देश दे रहे है ? उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि विश्वविद्यालय परिसर लड़ाई का अखाड़ा नहीं है बल्कि शिक्षा का मंदिर है । विश्वविद्यालय कर्मचारी एवं अधिकारीगण अभिभावक की भूमिका में हैं और छात्र उनसे पुत्रवत व्यवहार की आशा रखते है न कि हिंसक व्यवहार की । कुलसचिव महोदय द्वारा फौज की धमकी देना राष्ट्रसेवा में समर्पित भारतीय फौज का अपमान है और उन्हें बताना चाहता हूं कि यह आपका फौजी क्षेत्र नहीं बल्कि सिविलियन क्षेत्र है । लगता है उन्होंने सिविलियन क्षेत्र में काम करने से पहले उचित प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है । अब विश्वविद्यालय प्रशासन से मेरा कुछ सवाल-
1. टी.पी.कॉलेज में बी.एड.नामांकन में हुई गड़बड़ी के मामले में दोषी पर उचित कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
2. विगत 26 वर्षों से कुछ छात्रों को छोड़कर अन्य हज़ारों छात्रों को डिग्री परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद मूल-प्रमाण क्यों नहीं निर्गत किया गया ?
3. नॉन टीयरेबल प्रमाण पत्र में हुए करोड़ों की गड़बड़ी की जांच क्यों नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई ।
4. छात्राओं के लिए छात्रावास क्यों नहीं शुरू हो पाया ?
5. चंदन जैसे विश्वविद्यालय कर्मचारी को क्यों जहर खाना पड़ा ?
6. कई सालों से विश्वविद्यालय में एक ही पद पर कुर्सी से चिपके पदाधिकरियों को क्यों नहीं बदला गया?
7. किसी एक पद से हटाए गए पदाधिकारी को अन्य पदाधिकार देने की कौन सी मजबूरी होती है ?
8. न्यायादेशों का ससमय पालन क्यों नहीं किया जाता है ?
9. शिक्षकों को ससमय पदोन्नति क्यों नहीं दी जाती है एवं उन्हें अपनी मांग पूरी करवाने के लिये ९धरना पर बैठने के क्यों मजबूर होना पड़ता है ?
10. राज्य में शराबबंदी होने के बावजूद विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में शराब की बोतलें कैसे मिलती हैं ?
11. आपराधिक मामले में आरोपी टी पी कालेज के बीएड विभाग के कर्मचारी शंकर सुमन जो कि 85 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहा और अभी भी उसके उपर लगा आरोप न्यायालय में विचाराधीन है,को निलंबित क्यों नहीं किया गया ?
विश्वविद्यालय प्रशासन को मेरी खुली चुनौती है कि वे मुझसे छात्रहित और शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के हित से जुड़े मुद्दों पर मुझसे बहस करे । उपरोक्त ग्यारह सवाल विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाने के लिए काफी है । छात्रहित से जुड़े मुद्दों पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और विश्वविद्यालय प्रशासन के तुगलकी आचरण के खिलाफ महामहिम राज्यपाल सह माननीय कुलाधिपति महोदय को पत्र प्रेषित किया जाएगा ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Pages