संपादक- आर. कुमार
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में बीएड नामांकन मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसमें निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ राजभवन से शिकायत की गई है। छात्र संगठन एनएसयूआई ने महामहिम कुलाधिपति को पत्र लिख कर विवि अंतर्गत निजी बीएड कॉलेजों में नामांकन के नाम पर मची लूट से अवगत कराया है। साथ ही विवि प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए एनएसयूआई ने आंदोलन करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि मंगलवार को विवि पर हल्ला बोल प्रदर्शन के साथ कुलपति कार्यालय का घेराव किया जाएगा। ज्ञात हो कि बीएड मामले में बीएनएमयू का इतिहास काला रहा है। स्थापना काल से इस विश्विद्यालय में बीएड फर्जीवाड़ा किसी न किसी रूप में विद्यमान है। 1998 में बीएड प्रकरण में तत्कालीन कुलपति के अलावा विश्वविद्यालय से जुड़े कई पदाधिकारियों को जेल जाना पड़ा था। तब निजी बीएड कॉलेज के नाम पर लाखों करोड़ों का वारा न्यारा किया गया था। उसी समय से विश्वविद्यालय में बीएड में नाम पर फर्जीवाड़ा होते आया है। समय के हिसाब से फर्जीवाड़ा का तरीका बदला लेकिन फर्जीवाड़ा जारी रहा।
विवि में बीएड का काला इतिहास रहा है। यहीं नहीं बीएड नामांकन को लेकर हर वर्ष विश्वविद्यालय में हंगामा होना तय है। नामांकन के नाम पर किसी न किसी रूप में फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया। 1998 के बाद फिर 2016 में कई महीनों तक विवि बीएड की आग में झूलसते रहा था। तब नामंकन को लेकर हुई परीक्षा के बाद छात्रों ने लंबा आंदोलन चलाया था। छात्र संगठन एनएसयूआई द्वारा बीएड रिजल्ट में धांधली को लेकर लगातार 17 दिनों तक अनशन किया गया। साथ ही विवि व कॉलेजों में अनिश्चितकालीन तालाबंदी की गई थी। मालूम हो कि उस समय परीक्षा के अगले ही दिन रिजल्ट जारी कर दिया गया था। छात्र संगठनों के अनुसार रिजल्ट में व्यापक पैमाने पर धांधली कर लाखों करोड़ों का वारा न्यारा किया गया।
विवि में वर्ष 2018 बीएड के लिए दागदार रहा। इसकी शरूआत जनवरी माह में प्रॉक्टर के बेटे के नामांन से हो गई थी। आरएम कॉलेज में तत्कालीन प्रॉक्टर ने गलत तरीके से पुत्र का नामांकन कराने के लिए प्राचार्य से धक्का मुक्की कर ली। इसके बाद टीपी कॉलेज नामंकन फर्जीवाड़े में सामान्य वर्ग की छात्रा का एससी कोटि में हुए नामांकन को लेकर सवाल उठते रहे। वही निजी बीएड कॉलेज द्वारा छात्रों का आर्थिक शोषण किये जाने का मामला भी गर्म हैं। 11 जून को दो निजी बीएड कॉलेज ईस्ट एंड वेस्ट एवं एमपी बीएड के छात्रों ने विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ की । इस मामले में विवि द्वारा गठित जांच टीम के द्वारा जांच किए जाने के वावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं होना सवाल खड़ा कर रहा है।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने विवि अंतर्गत निजी बीएड कॉलेज के द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ किए जा रहे आर्थिक शोषण के मामले में कुलाधिपति को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि ईस्ट एंड वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज सहरसा व एमपी टीचर्स ट्रेनिंग कालेज मधेपुरा में नामांकन के नाम पर राजभवन एवं हाईकोर्ट से निर्धारित राशि से अधिक फीस लिया जा रहा है। इन कॉलेजों में परीक्षा प्रपत्र भरने के नाम पर, उपस्थिति के नाम पर और लेशन प्लान के नाम पर आर्थिक उगाही के शिकार बने पीड़ित छात्रों ने विवि में जम कर हंगामा किया था। साथ ही कुलपति कार्यालय को 4 घंटे तक घेराव किया। इस पर विवि ने जांच टीम गठित की और दोनों कॉलेज जांच के लिए टीम को भेजा भ गया। लेकिन 20 दिन बाद भी जांच रिपोर्ट ना तो सार्वजनिक की गई है और ना ही दोनों कॉलेजों पर कोई कारवाई।
जबकि जांच टीम ने आरोपों की पुष्टि करते हुए कार्रवाई की बात कही थी। इसके बाद एक कॉलेज संचालक के द्वारा अपने संस्थान को खुद से ही आरोपमुक्त घोषित करना विश्वविद्यालय के नियत पर संदेह उत्पन्न करता है। उन्होंने कुलाधिपति से संपूर्ण मामले की जांच एसआईटी या विजलेंस से कराने की मांग किया ।
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में बीएड नामांकन मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसमें निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ राजभवन से शिकायत की गई है। छात्र संगठन एनएसयूआई ने महामहिम कुलाधिपति को पत्र लिख कर विवि अंतर्गत निजी बीएड कॉलेजों में नामांकन के नाम पर मची लूट से अवगत कराया है। साथ ही विवि प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए एनएसयूआई ने आंदोलन करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि मंगलवार को विवि पर हल्ला बोल प्रदर्शन के साथ कुलपति कार्यालय का घेराव किया जाएगा। ज्ञात हो कि बीएड मामले में बीएनएमयू का इतिहास काला रहा है। स्थापना काल से इस विश्विद्यालय में बीएड फर्जीवाड़ा किसी न किसी रूप में विद्यमान है। 1998 में बीएड प्रकरण में तत्कालीन कुलपति के अलावा विश्वविद्यालय से जुड़े कई पदाधिकारियों को जेल जाना पड़ा था। तब निजी बीएड कॉलेज के नाम पर लाखों करोड़ों का वारा न्यारा किया गया था। उसी समय से विश्वविद्यालय में बीएड में नाम पर फर्जीवाड़ा होते आया है। समय के हिसाब से फर्जीवाड़ा का तरीका बदला लेकिन फर्जीवाड़ा जारी रहा।
विवि में बीएड का काला इतिहास रहा है। यहीं नहीं बीएड नामांकन को लेकर हर वर्ष विश्वविद्यालय में हंगामा होना तय है। नामांकन के नाम पर किसी न किसी रूप में फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया। 1998 के बाद फिर 2016 में कई महीनों तक विवि बीएड की आग में झूलसते रहा था। तब नामंकन को लेकर हुई परीक्षा के बाद छात्रों ने लंबा आंदोलन चलाया था। छात्र संगठन एनएसयूआई द्वारा बीएड रिजल्ट में धांधली को लेकर लगातार 17 दिनों तक अनशन किया गया। साथ ही विवि व कॉलेजों में अनिश्चितकालीन तालाबंदी की गई थी। मालूम हो कि उस समय परीक्षा के अगले ही दिन रिजल्ट जारी कर दिया गया था। छात्र संगठनों के अनुसार रिजल्ट में व्यापक पैमाने पर धांधली कर लाखों करोड़ों का वारा न्यारा किया गया।
विवि में वर्ष 2018 बीएड के लिए दागदार रहा। इसकी शरूआत जनवरी माह में प्रॉक्टर के बेटे के नामांन से हो गई थी। आरएम कॉलेज में तत्कालीन प्रॉक्टर ने गलत तरीके से पुत्र का नामांकन कराने के लिए प्राचार्य से धक्का मुक्की कर ली। इसके बाद टीपी कॉलेज नामंकन फर्जीवाड़े में सामान्य वर्ग की छात्रा का एससी कोटि में हुए नामांकन को लेकर सवाल उठते रहे। वही निजी बीएड कॉलेज द्वारा छात्रों का आर्थिक शोषण किये जाने का मामला भी गर्म हैं। 11 जून को दो निजी बीएड कॉलेज ईस्ट एंड वेस्ट एवं एमपी बीएड के छात्रों ने विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ की । इस मामले में विवि द्वारा गठित जांच टीम के द्वारा जांच किए जाने के वावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं होना सवाल खड़ा कर रहा है।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने विवि अंतर्गत निजी बीएड कॉलेज के द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ किए जा रहे आर्थिक शोषण के मामले में कुलाधिपति को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि ईस्ट एंड वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज सहरसा व एमपी टीचर्स ट्रेनिंग कालेज मधेपुरा में नामांकन के नाम पर राजभवन एवं हाईकोर्ट से निर्धारित राशि से अधिक फीस लिया जा रहा है। इन कॉलेजों में परीक्षा प्रपत्र भरने के नाम पर, उपस्थिति के नाम पर और लेशन प्लान के नाम पर आर्थिक उगाही के शिकार बने पीड़ित छात्रों ने विवि में जम कर हंगामा किया था। साथ ही कुलपति कार्यालय को 4 घंटे तक घेराव किया। इस पर विवि ने जांच टीम गठित की और दोनों कॉलेज जांच के लिए टीम को भेजा भ गया। लेकिन 20 दिन बाद भी जांच रिपोर्ट ना तो सार्वजनिक की गई है और ना ही दोनों कॉलेजों पर कोई कारवाई।
जबकि जांच टीम ने आरोपों की पुष्टि करते हुए कार्रवाई की बात कही थी। इसके बाद एक कॉलेज संचालक के द्वारा अपने संस्थान को खुद से ही आरोपमुक्त घोषित करना विश्वविद्यालय के नियत पर संदेह उत्पन्न करता है। उन्होंने कुलाधिपति से संपूर्ण मामले की जांच एसआईटी या विजलेंस से कराने की मांग किया ।
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