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मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

ऑपरेशन लव जेहाद माफिया: केरल की धर्मान्तरण फैक्ट्री Exposed, केरल में चलती है खुलेआम धर्मान्तरण का खेल

सौजन्य- इंडिया टुडे
सार्वजनिक तौर पर केरल का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) खुद को एकता और समानता का अलमबरदार बताता है. साथ ही धर्म परिवर्तन, हवाला फंडिंग, जानलेवा हमले और आतंकवाद से जुड़ाव के आरोपों को लगातार खारिज करता रहा है. लेकिन इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम ने अपनी जांच में खुद को धर्मार्थ बताने वाले इस संगठन के असली चेहरे को बेनकाब कर दिया है.
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने छुपे कैमरे पर PFI के शीर्ष पदाधिकारियों के मुंह से ऐसे खुलासे कैद किए हैं जो सकते में डाल देने वाले हैं. चाहे वो बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन कराना हो, अवैध फंडिंग हो, या फिर भारत को धर्मप्रधान इस्लामिक देश बनाने का अंतिम लक्ष्य, सबके बारे में इन्हें खुद ही सब कबूल करते देखा-सुना जा सकता है.
बता दें कि PFI पहले से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच के रडार पर है. PFI पर हिन्दू महिलाओं का ब्रेनवॉश कर मुस्लिम पुरुषों से शादी कराने के आरोप हैं. हालांकि PFI के महिला दस्ते की प्रमुख जैनबा ए. एस. ने सोमवार को ऐसे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. जैनबा ने उन आरोपों का हवाला दिए जाने पर ये बात कही कि वे गैर मुस्लिम महिलाओं को धर्म परिवर्तन के लिए 'तैयार' करती हैं.


जैनबा पर केरल के उस मामले में अहम भूमिका निभाने का संदेह है जिसे राज्य का अपना लव जिहाद मामला बताया जा रहा है. यानी हदिया की मुस्लिम युवक शफीं जहां से शादी का मामला. हदिया का पहले नाम अखिला अशोकन था.
इस साल मई में राज्य हाईकोर्ट ने इस शादी को रद्द कर दिया था. दरअसल, महिला के पिता ने हाईकोर्ट में शादी को ये कहते हुए चुनौती दी थी कि ये आतंकी भर्ती के लिए जबरन धर्म परिवर्तन का कृत्य है. अब हदिया और शफीं जहां की अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
जैनबा ने सोमवार को कहा, "मैंने हदिया से तभी संपर्क किया था जब वो सत्या सरनी (PFI का सहयोगी संगठन) में दाखिले के लिए आई थी. हकीकत में उसने इस्लाम धर्म दो साल पहले ही अपना लिया था. 2013 में उसने इस्लाम अपनाया था." जैनबा ने जोर दे कर कहा कि ये लव जिहाद नहीं बल्कि अरेंज्ड मैरिज है.
लेकिन जैनबा ने इस हाईप्रोफाइल केस के लिए सोमवार को खुले तौर पर आरोपों को जैसे खारिज किया, उससे पहले जैनबा के मुंह से PFI के काले कारनामों के खुलासे को इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स छुपे कैमरे पर कैद कर चुके थे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य जैनबा को ये कहते हुए छुपे कैमरे पर कैद किया गया कि किस तरह PFI और इसका सहयोगी संगठन सत्या सरनी केरल के मंजेरी में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन में लगा है.
जैनबा ने कहा, "वो हमारा संस्थान... बीते 10 साल में अब तक करीब 5,000 लोगों को इस्लाम कबूल कराया जा चुका है." जैनबा ने माना इन लोगों में हिंदू और ईसाई दोनों शामिल हैं.
केरल में भावनात्मक मुद्दा माने जाने वाले धर्म परिवर्तन पर अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा में प्रतिबंध है अगर इसे जबरन या प्रलोभन देकर कराया जाता है. हाल में झारखंड विधानसभा ने भी धर्म परिवर्तन विरोधी बिल पास किया है.
मलप्पुरम में अपने घर पर पति अली के साथ बैठी जैनबा ने अंडर कवर रिपोर्टर्स के सामने खुल कर बताया कि किस तरह कुछ गैर मुस्लिम महिलाओं को धर्म परिवर्तन करा इस्लाम कबूल कराने में उनकी भूमिका रही. हालांकि पति-पत्नी ने हदिया से जुड़े मामले पर अलग से कुछ नहीं कहा.
अली ने कहा, "हमारे पास एक स्कूल टीचर है, वो मैथ्स में एमएससी और बीएड है."
जैनबा ने जोड़ा, "अब वो इस्लाम धारण कर चुकी है. उसने चार साल पहले धर्म परिवर्तन किया."
अंडर कवर रिपोर्टर- "क्या आपने उसका धर्म परिवर्तन कराया?"
PFI की महिला नेता ने कहा, "हां, चार साल पहले."
जैनबा ने खुलासा किया, "धर्म परिवर्तन से पहले उसका नाम शुभा था, अब वो फातिमा है."
अंडर कवर रिपोर्टर- "कितने गैर मुस्लिमों का आपने धर्म परिवर्तन कराया?"
जैनबा- "बहुत हैं"
जैनबा ने धर्म परिवर्तन के पूरे तौर तरीकों का भी खुलासा किया. जैनबा ने कहा कि धर्म परिवर्तन के केंद्र धर्मार्थ या शैक्षणिक संस्थानों का चोला पहन कर चलाए जाते हैं जिससे कि किसी विरोध की संभावना को खत्म किया जा सके.
जैनबा ने कहा, "हमें आधिकारिक तौर पर इसे धर्म परिवर्तन केंद्र घोषित करने की जरूरत नहीं है. ये एक शैक्षणिक संस्थान है." जैनबा ने माना, "इस सब के लिए बहुत तैयारी की जाती है, संसाधनों की जरूरत होती है. हमें पहले भरोसा बनाना होता है."
जैनबा ने बताया कि ऐसे सीक्रेट सेंटरों को ट्रस्ट के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम 15 सदस्यों की जरूरत होती है. विस्तार से बताते हुए जैनबा ने कहा, "बाद में हम सेंटर के परिसर के लिए जगह चुनते हैं. परिसर में सारी सुविधाएं होनी चाहिएं. जैसे कि नमाज के लिए मस्जिद, रहने की जगह, सभी सुविधाओं वाला इंस्टीट्यूट जैसे कि यह (सत्य सरनी). फिर उसके बाद सरकार से इसे सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तरह पंजीकृत कराया जाता है."
जैनबा ने आगे ये भी बताया कि कैसे PFI धर्म परिवर्तन कराने के बाद नाम बदलवाने के प्रमाणपत्रों को बाहर से बनवाया जाता है. जैनबा ने कहा, "इसके दो तरीके हैं. किसी संस्थान से ये प्रमाणपत्र लिया जाता कि अमुक-अमुक व्यक्ति ने इस्लाम अपनाया है. या फिर एक और व्यवस्था है कि इसे घोषित हलफनामे के द्वारा नोटरी से प्रमाणित कराया जाए."
इंडिया टुडे की पहुंच में ऐसा दस्तावेज है जिसमें NIA ने भी PFI को आतंक से जुड़ाव और हवाला फंडिंग का आरोप लगाया है. हालांकि PFI ऐसे आरोपों का जोर देकर खंडन करता है.
लेकिन PFI के एक संस्थापक सदस्य, जिसे इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स दिल्ली में मिले, ने स्वीकार किया कि PFI का लक्ष्य इस्लामी देश बनाना है. PFI के संस्थापक सदस्य और इसके मुखपत्र 'गल्फ थेजास' के प्रबंध संपादक अहमद शरीफ ने अवैध फंडिंग की बात कबूली.
शरीफ से जब पूछा गया कि क्या PFI और सत्या सरनी, जैसा कि शक किया जाता है, भारत में इस्लामिक स्टेट की स्थापना के छुपे मकसद के लिए काम कर रहे हैं तो जवाब मिला, "दुनिया भर में, यही मकसद है."
अंडर कवर रिपोर्टर- "क्या इस्लामिक स्टेट अंतिम लक्ष्य है?"
शरीफ- "अंतिम लक्ष्य, दुनिया भर में, सिर्फ भारत ही क्यों? भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने के बाद  वो दूसरे देशों की ओर बढ़ेंगे."
शरीफ ने ये खुलासा भी किया कि कैसे उसने PFI के लिए पांच साल पहले मिडिल ईस्ट में फंड जुटाया था और फिर हवाला के जरिए भारत भेजा था.
शरीफ ने कहा, "उस वक्त 10 लाख (रुपए) या आसपास."
रिपोर्टर- "10 लाख? आपने कैसे उसे भेजा?"
शरीफ- "हवाला"
शरीफ ने माना कि PFI और सत्य सरनी दोनों ही मुख्य धारा के साथ-साथ अवैध हवाला चैनलों से फंड जुटाते हैं.

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