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रविवार, 22 अप्रैल 2018

क्या रेप पर फांसी से बदलेगी लोगों की मानसिकता ?

देश  में  फैला  अंधकार,
होता है क्यों बलात्कार ?
शिक्षित   करें   समाज।
हम     बनें     रोजगार,
तभी  मिटेगा  अंधकार ।
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आज देश में हृदय द्रवित करने वाली बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं।ऐसी घटनाएं पहले भी होती थीं,और अब भी हो रही है।आखिर लोगों की मानसिकता को क्या हो गया है ? आज ऐसी शर्मनाक घटनाओं पर इतनी गंदी राजनीति क्यों हो रही है ?निर्भया कांड के बारे में सबको मालूम है; पर किसी ने निर्भया की तस्वीरों को नहीं देखा।आज बड़ी तेजी से कठुआ वाली घटना की बच्ची का फोटो,विडियो वायरल किया जा रहा है।बच्ची को इंसाफ दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये चंदा जमा करके दलाली की जा रही है, यानी राजनीति स्तर पर वैचारिक बलात्कार । ये सब भी सजा के कम हकदार नही हैं ।
              एक सूत्र के मुताबिक हमारे देश में हर साल औसतन तीस हजार बलात्कार की घटनाएं होती हैं, जिसमें 90% घटनाएं मीडिया और पुलिस के नजरों में नहीं आती ।दुःख की बात ये है कि 95% बलात्कार की घटनाएं अपने करीबी रिस्तेदार या पड़ोसी ही करते हैं । यानी यह एक सामाजिक समस्या है,जिसे समाज स्वीकार नहीं करता ।       बलात्कार करने की मानसिकता समाज में यौन शोषण से प्रारंभ होता है, जिसे समाज कभी जुर्माने तो कभी समझौते के बल पर छोड़ देते हैं । जो कहता है कि सामंतवादी व्यवस्था चली गयी,उसे ईंट भट्ठों पर जाकर देखना चाहिए कि किस मज़दूरों का आर्थिक,मानसिक और शारीरिक शोषण होता है ।भले हम उत्तर आधुनिकतावाद युग में जी रहे हों, आज भी गाँव की लड़कियां शिक्षा से वंचित है,समाज के कुछ लोग उसे बालिग होने का इंतजार नही करता और कम उम्र में ही उसकी शादी कर देते हैं । सर्वेक्षण किया जाय तो अस्सी प्रतिशत लड़कियों की शादी नाबालिग अवस्था में होती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।अगर कोई लड़की अपने मर्जी अनुसार शादी कर भी लेती है तो समाज का सबसे पहला प्रयास यहीं होता है कि झूठी प्रतिष्ठा बचाने के लिए उस युगल जोड़े को जान से मार दिया जाय;पर जैसे ही इसकी भनक लोगों को लगती है और जान से मारने में असफल होता है तब लड़की पक्ष वाले,लड़का समेत उसके परिवार पर अपहरण का मामला दर्ज़ करवा देता है । ये सभी कदम उठते हैं उसी यौन शोषण,बलात्कार और प्यार मुहब्बत के नाम पर हुई शादी के नाम पर ।
              आज देश में बलात्कार को लेकर कानून बना जो स्वागत योग्य है;पर समाज की मानसिकता का क्या होगा ? क्या लडकों/पुरुषों का शारीरिक शोषण नहीं होता ? ऐसी घटनाएं 5%ही सही; पर होती तो है । कुल मिलाकर सारे फसाद का जड़ हमें समाज में ही मिलता है ।
                       अतः समाज के हर तबके के लोगों को जबतक शिक्षित नहीं किया जा सकता,उन्हें रोजगार का अवसर नहीं दिया जाता,जनसंख्या नियंत्रण नहीं किया जाता तबतक कुछ भी कहना मुश्किल है ।



विभीषण कुमार
छात्र, पीजी विभाग, बीएनएमयू

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