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सोमवार, 6 नवंबर 2017

हम सब मिलकर लिखेंगे बीएनएमयू का नया इतिहास: वीसी

संपादक : आर.के.झा-
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में संसाधनों का घोर अभाव है. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी हम विश्वविद्यालय को प्रगति पथ ले चलने हेतु प्रतिबद्ध हैं. विवि के विद्यार्थियों में प्रतीभा की कोई कमी नहीं है. विवि के छात्र हर क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हैं. यह बातें कुलपति प्रोफेसर डॉ अवध किशोर राय ने कही.

 वे सोमवार को यूभीके कॉलेज, कड़ामा-आलमनगर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षाविदो के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे. यूजीसी द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार का विषय था-'रोल आफ टीचर्स/गार्जियनस एण्ड सिटिजन्स आफ इण्डिया इन जाब ओरिएंटेड क्वालिटी एजूकेशन प्रोग्राम'. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने विद्यार्थियों को यथासंभव सभी सुवाधाएं उपलब्ध कराने हेतु प्रयासरत है. विद्यार्थियों की आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश की जा रही है.  विद्यार्थी भी अपनी उर्जा एवं शक्ति को पठन-पाठन, खेलकूद आदि  सकारात्मक कार्यों में लगाये.कुलपति ने कहा कि विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी एवं अभिभावक शिक्षा के चार स्तंभ हैं. विश्वविद्यालय के विकास में इन चारों स्तंभो का सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है. सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक विश्वविद्यालय के समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित हों. सब मिलकर बीएनएमयू में नया इतिहास लिखेंगे. कुलपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ लिखने-पढने एवं गणना करने की क्षमता प्राप्त करना नहीं है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है. इसके लिए विद्यार्थियों के जीवन के सभी पहलुओं का विकास अपेक्षित है. हमारे विद्यार्थी सिर्फ ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि खेलकूद सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढें. साथ ही उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास भी हो. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कक्षा के साथ-साथ खेल-कूद एवं अन्य सकारात्मक गतिविधियों में भी आये. यदि हौसला बुलंद हो तो सिमित संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है. मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. कुलपति ने कहा कि अतित में बिहार शिक्षा का क्षेत्र में काफी अग्रणी रहा है. यहाँ के विक्रमशिला विश्वविद्यालय, कहलगांव एवं नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा की अंतरराष्ट्रीय ख्याति रही है. लेकिन आज हम शिक्षा में काफी पीछे चले गये हैं. हमें गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर  वर्तमान एवं भविष्य को संवारना है.

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