'' गंगा न्यौते यमूना के हम न्यौते छी भाई के, ज्यों ज्यों गंगा यमूना में पानी बढ़े तों-तों हमरा भाई के आयू बढ़े'' शनिवार को मिथिला के हर आंगम में  बहनें यह पंक्ति अपने भाई के लिए गुणगुणा रही थी. मौका था भाई और बहन के बीच प्यार का त्योहार भैयादूज का. - News Express Now :: Hindi News, Latest News in Hindi, Breaking News, | हिन्दी न्यूज़ लाइव

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शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

'' गंगा न्यौते यमूना के हम न्यौते छी भाई के, ज्यों ज्यों गंगा यमूना में पानी बढ़े तों-तों हमरा भाई के आयू बढ़े'' शनिवार को मिथिला के हर आंगम में  बहनें यह पंक्ति अपने भाई के लिए गुणगुणा रही थी. मौका था भाई और बहन के बीच प्यार का त्योहार भैयादूज का.

संपादक: आर.के.झा
 '' गंगा न्यौते यमूना के हम न्यौते छी भाई के, ज्यों ज्यों गंगा यमूना में पानी बढ़े तों-तों हमरा भाई के आयू बढ़े'' शनिवार को मिथिला के हर आंगम में  बहनें यह पंक्ति अपने भाई के लिए गुणगणा रही थी. मौका था भाई और बहन के बीच प्यार का त्योहार भैयादूज का. मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर, गौरीपुर, लालपुर, गम्हरिया टोला, रामपट्टी, भवानीपुर एवं गम्हरिया प्रखंड के ईटवा जिवछपुर, सिहपुर सहित विभिन्न गांवों में शनिवार को बहन व भाई का पर्व भैयादूज हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. इस दौरान बहनों ने व्रत रख कर भाई की लंबी उम्र की कामना की. वहीं भाई के माथे पर तिलक लगा कर बहनों ने न्योता लिया. इसके बदले में भाई ने बहनों को उपहार स्वरूप पैसा, कपड़े व अन्य समान प्रदान की. इस मौके पर बहनों ने भाई के दोनों हाथों में पान, सुपारी रख कर तलहथी में सिंदूर पीठार लगायी. वहीं मंत्र उच्चारण  करते हुए भाई के माथे पर तिलक लगायी.

इसके बाद भाई के हाथों को मिट्टी के बर्तन में पानी से साफ किया. बहन शिवानी, सलोनी, पावनी, कृतिका, काव्या, सलोनी, रानो, नाव्या, प्रिया, मौसम, वैष्णवी ने कहा कि भैयादूज के मौके पर भाई के दीर्घायु होने के लिए भगवान से प्रार्थना की और भाई के माथे पर तिलक लगा कर न्योता लिया. पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास जा कर भैयादूज त्योहार को मनाया. यह भी मान्यता है कि भैयादूज पर्व मनाने के लिए भाई को बहन के यहां जाना होता है.

  इस दौरान बहन बहन भाई के दोनों तलहटी पर पान सुपारी पिठार सिंदूर लगा कर दोनो हाथ पानी मे भिगो कर भाई के माथे पर सिंदूर का टिका लगायी. वहीं भाई के लंबी आयु की कामना करती रही. पर्व के दौरान बहना विभिन्न प्रकार का व्यंजन बना कर भाई को भोजन करायी. इस अवसर पर भाई उप हार के रुप मे बहन के लिये वस्त्र आभूषण एवं मिठाइयाँ ले जाते हैं. मिथिला मे भैयादूज के लिये प्रचलित गीत बड़ी छान वे पापड़ छानबीन आर तरव तील्कोर हे बहीना भदुर्तीया के भोर. भैजादूज के दिन बहन भाई का बिना निमंत्रण लिये भोजन ग्रहण नही करती है.


 ----भाई को तिलक लगा कर बहनों ने मांगी दुआ


भाई दूज को यम द्वितीय भी कहते हैं. भाई दूज के दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती है. वहीं भाई, बहनों को उपहार देकर उनकी खुशियों को दोगुना कर देता है. इस दिन बहने भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं. हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भैया दूज को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है. इस दिन ब्रज मंडल में बहनें अपने भाई के साथ यमुना स्नान करती है. जिसका विशेष महत्व बताया गया है. बहनें इस दिन अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण एवं उत्कर्ष हेतु तथा स्वंय के सौभाग्य के लिए अक्षत कुमकुम आदि से अष्टदल कमल बानकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता की विधिपूर्वक पूजा करती है. रक्षा बंधन की तरह ही भाई दूज का भी अपना ही महत्व है. साथ ही दीपोत्सव का समापन दिवस भी है.


----- भाईदूज मनाने के पीछे हैं कई पौराणिक कथाएं ----


भाई दूज, भाई और बहन के बीच के प्यार का त्योहार है. यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का अपना महत्व है. इसको मनाए जाने का कारण भी है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थी एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना. संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर सकी और छायामूर्ति का निर्माण करके अपने पुत्र और पुत्री को सौंपकर वहां से चली गईं. छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था. यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते. एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने पहुंचे. भाई को आया देख यमुना बहुत खुश हुईं. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया. बहन का प्यार देखकर यम इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए.

यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि नराकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे. उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था. जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा और इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं.

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