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सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

केंद्र की मिली मंजूरी, तो बिहार को मिलेगी 24 घंटे लगातार बिजली

संपादक: आर. के.झा- बिहार की आधा दर्जन बिजली परियोजनाएं केंद्र की सहमति के इंतजार में अटकी पड़ी हैं.  लंबित पावर प्रोजेक्ट के शुरू हो जाने से प्रदेश को वर्तमान में मिल रही बिजली के अलावा करीब 10 हजार मेगावाट बिजली मिल सकेगी. इससे राज्य में 24 घंटे बिजली मिलेगी. साथ ही दूसरे प्रांतों को भी बिहार बिजली उपलब्ध भी करा सकेगा. ऊर्जा विभाग ने बिहार की लंबित बिजली परियोजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे केंद्र सरकार को दिया जायेगा, ताकि ये परियोजनाएं जल्द से जल्द शुरू हो सकें.



बिहार के बांका में 4000 मेगावाट अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार को टेंडर निकालना है. यहां बिजली का उत्पादन होने से बिहार को आधी बिजली मिलेगी. सुपौल के डागमारा पनबिजली से 130 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी.

वहीं, औरंगाबाद के नवीनगर में स्टेज वन और टू में 660-660 मेगावाट की तीन-तीन यूनिट बनना है, लेकिन यह तैयार नहीं हो सका है. अब राज्य सरकार इसे 800-800 मेगावाट करने का प्रस्ताव देगी ताकि स्टेज वन और टू से 420-420 मेगावाट ज्यादा बिजली का उत्पादन हो सके. केंद्र में बिहार के आरके सिंह नये केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री बने हैं. इससे बिहार को आशा है कि केंद्र में लंबित राज्य की बिजली परियोजनाओं के शुरू होने में तेजी आयेगी.



बिजली परियोजनाओं का हाल



बांका अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट : बांका में 4000 मेगावाट का अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट को 2012 में ही केंद्र की मंजूरी मिली. राज्य सरकार ने ककवारा में जमीन भी चिह्नित कर लिया है. राज्य सरकार ने दो स्पेशल परपस वैकिल भी गठन कर चुकी है और प्रस्तावित 20 करोड़ की राशि भी दे चुकी है. अब इस मामले में केंद्र सरकार को टेंडर करना है, जिसे के बाद जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू हो सकेगी. इस परियोजना के शुरू होने से 2000 मेगावाट बिजली बिहार को मिलेगी.



डागमारा पनबिजली परियोजना : सुपौल के डागमारा पनबिजली परियोजना तकनीकी मामला के कारण फंसा हुआ है. यहां कोसी नदी से पनबिजली का 130 मेगावाट का उत्पादन होना है. इस परियोजना को लेकर सेंट्रल वाटर कमिशन सवाल उठा रहा है.



दो बार इसकी जगह भी शफ्टि की गयी, लेकिन मामला केंद्र में ही अटका है. इसके नर्मिाण से नेपाल के ऊपरी भाग और बिहार के निचले भाग में बाढ़ का खतरा बताया जाता है.



नवीनगर पावर प्रोजेक्ट : औरंगाबाद के नवीनगर में स्टेज वन और टू में 660-660 मेगावाट की तीन-तीन यूनिट बनना है, लेकिन यह तैयार नहीं हो सका है. यह परियोजना 2008-10 में शुरू हुई. स्टेज वन व टू के तीन-तीन यूनिट चालू हुए तो 1980-1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. राज्य ने 660 मेगावाट के यूनिट को बढ़ा कर 800 मेगावाट करने का प्रस्ताव केंद्र को दिया है, पर केंद्र ने सहमति नहीं दी है. नवीनगर के स्टेज वन और टू में 2400-2400 मेगावाट बिजली उत्पादन हो सकेगा.



नवादा न्यूक्लियर पावर प्लांट : नवादा में एटॉमिक पावर एनर्जी का प्लांट लगेगा. इससे 700 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. राज्य सरकार ने रजौली में जमीन चिह्नित कर लिया है, लेकिन पानी का संकट आ गया है. इस पर केंद्र सरकार के स्तर से निर्णय होना है. .



कजरा-पीरपैंती पावर परियोजना : सरकार ने यहां थर्मल पावर की जगह सोलर पावर लगाने की सैद्धांतिक सहमति दी है. बिहार वद्यिुत विनियामक आयोग की रिपोर्ट पर सरकार ने फैसला लिया है.



सोलर के जरिये 250-250 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. फिलहाल किसी कंपनी ने सोलर पावर के लिए इच्छा नहीं जतायी है. बिहार के पास न तो कंपनी है और न ही संसाधन है, जिससे वह इसे पूरा कर सके. केंद्र की आर्थिक व तकनीकी सहयोग से ही यह संभव हो सकेगा.

सतलज जल विद्युत निगम : बक्सर के चौसा में 660-660 मेगावाट का दो यूनिट बन रहा है. 2022 तक बन कर तैयार होगा. बिहार को 85 फीसदी बिजली मिलेगी.


इधर, बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि
बिहार की कई बिजली परियोजनाएं केंद्र की मंजूरी को लेकर लंबे समय से लंबित पड़ी हैं. केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार होने और केंद्र में भी बिहार से मंत्री होने से लंबित परियोजनाओं पर जो ग्रहण लगा है, वह हट सकता है. बिहार सरकार की ओर से लंबित परियोजनाओं की वस्तु स्थिति से केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री को प्रस्ताव देकर अवगत कराया जायेगा.                                                    

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