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शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

BNMU कैम्पस:"गाँधी अतीत के होते हुए भी भविष्य के महानायक हैं"...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के नॉर्थ कैम्पस स्थित विश्वविद्यालय इतिहास विभाग में गुरुवार को दो दिवसीय(17-18 नवंबर) राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्धघाटन बीएनएमयू कुलपति प्रो डॉ आर के पी रमण, प्रतिकुलपति डॉ आभा सिंह, मानविकी संकाय के डीन सह हिन्दी विभाग के एचओडी डॉ उषा सिन्हा, भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय मुज्जफरपुर से आये डॉ अजित कुमार, वाणिज्य संकाय के डीन डॉ अशोक कुमार , इतिहास विभाग के एचओडी सह सेमिनार के संयोजक डॉ भवानंद झा सहित अन्य ने संयुक्त रूप से किया।
"गाँधी चिंतन और उसकी प्रांसगिकता व कोसी क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी" विषयक संगोष्ठी के उद्घाटनकर्ता कुलपति डॉ आर के पी रमण ने कहा कि यह सेमिनार शिक्षक, शोधार्थियों व छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।
 कुलपति ने कहा कि गांधीजी के बारे में कितना भी कहा जाए वह कम है। वह खुद एक पुस्तक है।
  कोसी क्षेत्र के जितने भी स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं, सब गांधीवाद के विचार पर चले हैं ।
कोसी क्षेत्र तीन जिलों में सिमट गया है, रासबिहारी मंडल, भूपेंद्र ना.मंडल, शिवनंदन प्रसाद मंडल, पंडित राजेंद्र मिश्र ,बलदेव चौधरी, आदि स्वतंत्रता सेनानियों को सुमन अर्पित करता हूं।
 गांधीजी समानता में विश्वास करते थे।
गांधीजी के आदर्श और विचारों को आत्मसात  करने की जरूरत है। उन्हें सत्य और अहिंसा  का पुजारी कहा जाता है।
पूरा भारत उसे राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
 मुख्य वक्ता भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के डॉ अजीत कुमार ने कहा कि गांधी चिंतन एवं उसकी प्रासंगिकता पर जितनी चर्चा की जाए वह कम है।
उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह- 1917 को कौन नहीं जानता है ।
गांधीजी शांतिपूर्वक आंदोलन करने का तरीका जानते थे ,वह औरों से काफी भिन्न था।
 आज के समय में गांधी को लोग गांधीजी कहते हैं, जबकि 'जी' का प्रयोग बड़ो के लिए करते हैं, गांधी तो उनसे भी बड़े हैं। गांधी को समझने की आवश्यकता है।
 नई शिक्षा नीति- 2020 में गांधीजी के बुनियादी शिक्षा को विशेष जगह दिया गया है। गांधीजी समाज में समानता लाना चाहते थे।
 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के डॉ संजय झा ने कहा कि गांधीजी अहिंसा को सबसे मूल्यवान अस्त्र के रूप में देखते हैं, उनका मानना था कि अहिंसा आत्मशक्ति से उत्पन्न होती है।
 ● नाराज होकर सेमिनार छोड़ वापस लौटी प्रोवीसी:
स्मारिका विमोचन के बाद सेमिनार हॉल में एक अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई। जब इतिहास विभाग के एचओडी के द्वारा सेमिनार का विषय प्रवेश किया जा रहा था,वे अपने बांतों को रखने के अंतिम पड़ाव में थे, तभी प्रतिकुलपति डॉ आभा सिंह अचानक अपनी कुर्सी से उठती है और विभागाध्यक्ष भवानंद झा के पास आकर मंच से इस बात को लेकर विरोध करती है कि सेमिनार में जो स्मारिका छापी गई है उसमें उनकी फोटो, सिग्नेचर एवं शुभकामना संदेश को प्रकाशित उनके बिना अनुमति के की गई है।
इतनी बात कहते हुए वह बोली कि मैं इस कार्यों का घोर निंदा एवं विरोध प्रकट करती हूं ,और इसके वे कार्यक्रम छोड़कर चली गई।
  उस समय मंच पर  कुलपति डॉ आर के पी रमण भी उपस्थित थे।
बीच कार्यक्रम में इस तरह प्रोवीसी के जाने से विश्वविद्यालय गलियारों में लोग तरह तरह की चर्चा करने लगे। लोगों का कहना था कि कोई नाराजगी थी तो आपस मे बातचीत कर समझौता किया जा सकता था,लेकिन बीच कार्यक्रम में इस तरह विरोध प्रकट करना सही नहीं था।
●" हाँ, मैं वही सुषमा हूँ" पुस्तक का हुआ विमोचन:
 इतिहास विभाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कुलपति डॉ आर के पी रमण, पीवीसी डॉ आभा सिंह, हिंदी   हेड डॉ उषा सिन्हा, इतिहास हेड डॉ भवानंद झा आदि ने संयुक्त रूप से 
हां, मैं सुषमा हूँ पुस्तक का विमोचन किया।
डॉ सुषमा दयाल द्वारा लिखित पुस्तक "हां, मैं वहीं सुषमा हूं", जिसमें ग्रामीण प्रतिभा को आगे बढ़ाने का एवं बेटी आज चौखट से चांद तक पहुंच चुकी है, सामाजिक कुरीतियों को उजागर करने का एवं परिवार कितना जीवन में  महत्वपूर्ण है,
अन्तोगत्वा   मां-बाप ही साथ निभाते हैं ,
खासकर नारी के प्रति सम्मान ,नारी का कर्तव्य परिवार के बीच सामंजस्य बढ़ाने में एवं परिवार को विखंडित होने से बचाने में नारी की भूमिका को बखूबी दर्शाया है।
संगीत शिक्षिका नेहा यादव एवं रौशन कुमार के नेतृत्व में   कुल गीत व स्वागत गान गाया गया।
मंच संचालन अमिश कुमार ने किया।
मौके पर नैक मूल्यांकन डायरेक्टर नरेश कुमार,जूलॉजी हेड डॉ अरुण कुमार, विकास पदाधिकारी ललन प्रसाद अदरी, परिसंपदा पदाधिकारी डॉ गजेंद्र कुमार, डॉ अजय कुमार, डॉ विवेक कुमार, डॉ सीपी सिंह , डॉ इम्तियाज अंजुम, वरीय साहित्यकार डॉ भूपेंद्र नारायण मधेपुरी, डॉ शोभा कांत यादव, डॉ अबुल फजल, डॉ अमरेंद्र कुमार, अनिल कुमार, डॉ संजय परमार, सीनेटर रंजन यादव, रिसर्च स्कॉलर सारंग तनय, आंनद कुमार भूषण, कुणाल कुमार,  माधव कुमार, दिलीप  दिल, अमरेश कुमार अमर, ब्रजभूषण कुमार, प्रकाश कुमार, निखिल कुमार, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।।

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