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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

BNMU हलचल: आईटीआई कम्पनी का कांट्रेक्ट रद्द होना आंदोलन की सफलता- डॉ. जवाहर पासवान...

मधेपुरा/बिहार: बीएनएमयू, मधेपुरा में कार्यरत यूएमआईएस(UMIS) कंपनी आईटीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अराजकता के खिलाफ हमने नए कुलपति डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी और महामहिम कुलाधिपति श्री फागू चौहान साहेब को आवेदन दिया था। कुलपति ने हमारे आवेदन पर त्वरित कार्रवाई की और कुलाधिपति को पूरे मामले की सच्चाई से अवगत कराया। इसके बाद कुलाधिपति ने नया कांट्रेक्टर करने का आदेश दिया है। यह आंदोलन की जीत है। यह बात सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने प्रेस बयान जारी कर कहा।
उन्होंने कहा कि बीएनएमयू कोसी प्रमंडल में अवस्थित है, जो गरीब, दलित- महादलित, शोषित-पीड़ित, पिछड़ों का क्षेत्र है। यूएमआईएस कंपनी आईटीआई ने हमारे विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का आर्थिक एवं मानसिक दोहन/शोषण किया। विद्यार्थियों से पंजीयन के नाम पर तीन सौ रूपये (₹300) लिए गए और कालेज एवं विषय चेंज करने के नाम पर भी काफी पैसा लूटा गया। अब नए कुलपति से उम्मीद है कि वे (₹100) एक सौ से कम रूपए में नया कांट्रेक्ट करें और विद्यार्थियों से पंजीयन शुक्ल के रूप में मात्र  50-60 रूपए लिया जाए।
उन्होंने कहा है कि यूएमआईएस कंपनी आईटीआई का नया कांट्रेक्ट रद्द होना आंदोलन की आंशिक सफलता है। अभी इसकी पूरी कार्य-प्रणाली, उसके संबंध में वित्तीय परामर्शी की आपत्ति, इसको एक्सटेंशन देने में तत्कालीन कुलपति एवं तत्कालीन प्रति कुलपति की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच बाकि है। यूएमआईएस का कांट्रेक्ट आईटीई कंपनी से किया गया है, जिसने किसी दूसरे को पेटी कॉन्ट्रैक्ट दे दिया है। ऐसे में यह कांट्रेक्ट फर्जी माना जाना चाहिए। तत्कालीन कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय  एवं तत्कालीन प्रतिकुलपति डाॅ. फारूक अली ने गुपचुप तरीके से अपने आवास पर एक साजिश की तरह कांट्रेक्ट को अंजाम दिया था। साथ ही कार्य संतोषजनक नही होने के बावजूद आईटीआई कंपनी को लगभग एक करोड़ पंद्रह लाख रूपये भुगतान कर दिया गया। ऐसी आशंका है कि इसमें काफी लेनदेन हुआ है। यूएमआईएस की वर्तमान कंपनी ने जिन कामों को नहीं किया है, उससे संबंधित राशि भी भुगतान कर दी गई है। 
अतः राशि की रिकवरी होनी चाहिए। 
उन्होंने कहा है  यूएमआईएस के नोडल पदाधिकारी विश्वविद्यालय की बजाय यूएमआईएस के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं। इन पर कठोर  कार्रवाई होनी चाहिए। इन्हें अपने महाविद्यालय में वापस किया जाए और इनके वेतन भुगतान को तत्काल स्थगित रखा जाए।
उन्होंने कहा कि यूएमआईएस को दिए गए सभी संसाधनों को वापस लेना चाहिए। आईटीआई कंपनी से विश्वविद्यालय का डेटा वापस लेना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कंपनी डेटा का दुरुपयोग नहीं करे।
डॉ.पासवान ने इस मुद्दे पर आवाज उठाने और समर्थन देने के लिए विभिन्न छात्र संगठनों एवं  सामाजिक संगठनों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया है।।।

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