मधेपुरा/बिहार: भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर, मधेपुरा के स्नातकोत्तर विज्ञान संकाय के कौंसिल मेंबर सह आंतरिक परिवाद समिति सदस्य बिट्टू कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 गरीब एवं ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के हित में नहीं है। लोकल लौंगबेज पर क्लास एक
( 1- 5 ) पाॅंच क्लास तक शिक्षा में पढ़ाई छात्रों को और विषय में कमज़ोर करने लायक है जबकि पूरे विश्वभर में अंग्रेजी भाषा के बिना आपको अच्छी कोई नौकरी नहीं मिल सकता है तो फिर यह लोकल भाषा में एक से पाॅंच क्लास क्यों ? जबकि जिस क्षेत्र के छात्रों है वो तो लोकल भाषा ज्ञात कर लेता है तो एवं उसके कल्चर से ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है , इस आधुनिक युग में बिना अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के जानकारी बिना कुछ भी करना असंभव है चाहे वह अच्छे पदों की नौकरी हो या और कुछ भी सेक्टर हो । वही मुझे तो लगता है कि उच्च शिक्षा को ऑटोनाॅमस बनाने के नाम पर पूरी तरह नई शिक्षा नीति निजीकरण का दूसरा नाम है ,अब उच्च शिक्षा गरीब, मजदूर, एवं किसान परिवार और छोटे व्यवसाय के बच्चों उच्च शिक्षा से वंचित रखने का नया सूत्र है, जबकि देशभर के शिक्षकों ने पाॅलिसी के ड्राप्ट पर सुधार के बिंदु सुझाए थे , लेकिन बिना किसी बहस के बदलाव कर इसे लॉक डाउन में लागू कर दिया गया, ताकि कोई इसका विरोध ना कर सके। न तो शिक्षक और न ही छात्रों को इसमें शमिल किया गया!
शिक्षा बजट में सरकार की सब्सिडी बढ़ानी चाहिए थी जो कि घट रही है समाजिक परिवर्तन हो ,लेकिन इस तरह की शिक्षा नीति से जो अमीर है वो और अमीर ही होंगे। GDP का 6 % शिक्षा पर खर्च यह ऊॅंट के मुॅंह में जीरा के फौरन के समान है। इस आधुनिक युग में बहुत सारे देश 15 % से 25 % तक शिक्षा पर खर्च करने जा रहे हैं एवं कर रहे हैं।
वही भारत सिर्फ 6% ही शिक्षा पर खर्च की बात की है, वो भी प्रथन शिक्षा नीति 1968 से ही। आज तक सिर्फ केंद्र व राज्य GDP का 4.43%ही शिक्षा पर खर्च कर पा रही है।।।
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