डॉ.कलाम की सादगी के सामने हर किसी का सिर सम्मान से झुक जाता है|
सामाजिक,सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था 'सृजन दर्पण' के तत्वावधान में विश्वविखात गाँधीयन मिसाइल मैन भारत रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की 6 वीं पुण्यतिथि का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का आयोजन वृन्दावन निवास पर डॉ.कलाम की पुण्यतिथि सृजन दर्पण के सीमित सदस्यों और रंगकर्मीयो के साथ सोशल डिस्टेसिग का पालन करते हुए सादगी के साथ मनाया|
मौके पर अध्यक्षता करते हुए डॉ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि डॉ. कलाम ने सपना देखा था विकसित भारत का और अधिक जीने योग्य पृथ्वी बनाने का उसी क्रम में डॉ. कलाम ने 27 जुलाई 2015 को शिलांग में आई. आई. इम. के छात्रों के बीच पृथ्वी को रहने योग्य बनाने के टिप्स देते हुए अंतिम साँस ली थी|डॉ. मधेपुरी ने यह भी कहा कि डॉ. कलाम जवाबों के बजाय छात्रों के सवालों को ज्यादा पसंद करते थे तथा समाधानों के बजाय छात्रों की समस्याओं को ध्यान से सुना करते थे|उन्होंने कहा कि वे ऐसे शिक्षक थे जो ता जिन्दगी विधार्थी बनाने रहे तथा उनकी
सादगी के सामने हर किसी का सिर सम्मान से झुक जाया करता|सृजन दर्पण के संस्थापक सचिव बिकास कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा भारत रत्न सह मिसाईल मैन के नाम से प्रसीद डॉ. कलाम के व्यक्तित्व को सभी लोगों को आत्मासात करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम किसी भी मजहब धर्म के नहीं बल्कि भारतीय धर्म को मानने वाले थे|संस्था के
सदस्य सुशील कुमार ने कहा खुद को कैसे संयमित सोच के साथ आगे बढ़े इसके लिए डॉ.कलाम के जीवन का अध्ययन करना होगा मौके पर डॉ.रश्मि भारती, रेणुका चौधरी ,आदित्य कुमार, अक्षत उर्फ छोटे कलाम थे,इस अवसर पर सृजन दर्पण के रंगकर्मी पुष्पा कुमारी, कुमारी मनीषा, अंजली कुमारी ,रूपा कुमारी ,रितिका कुमारी और राखी कुमारी को गीता नृत्य और नाटक के माध्यम से देश और समाज को जागरूक करने के लिए समानित भी किया गया|
सामाजिक,सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था 'सृजन दर्पण' के तत्वावधान में विश्वविखात गाँधीयन मिसाइल मैन भारत रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की 6 वीं पुण्यतिथि का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का आयोजन वृन्दावन निवास पर डॉ.कलाम की पुण्यतिथि सृजन दर्पण के सीमित सदस्यों और रंगकर्मीयो के साथ सोशल डिस्टेसिग का पालन करते हुए सादगी के साथ मनाया|
मौके पर अध्यक्षता करते हुए डॉ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि डॉ. कलाम ने सपना देखा था विकसित भारत का और अधिक जीने योग्य पृथ्वी बनाने का उसी क्रम में डॉ. कलाम ने 27 जुलाई 2015 को शिलांग में आई. आई. इम. के छात्रों के बीच पृथ्वी को रहने योग्य बनाने के टिप्स देते हुए अंतिम साँस ली थी|डॉ. मधेपुरी ने यह भी कहा कि डॉ. कलाम जवाबों के बजाय छात्रों के सवालों को ज्यादा पसंद करते थे तथा समाधानों के बजाय छात्रों की समस्याओं को ध्यान से सुना करते थे|उन्होंने कहा कि वे ऐसे शिक्षक थे जो ता जिन्दगी विधार्थी बनाने रहे तथा उनकी
सादगी के सामने हर किसी का सिर सम्मान से झुक जाया करता|सृजन दर्पण के संस्थापक सचिव बिकास कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा भारत रत्न सह मिसाईल मैन के नाम से प्रसीद डॉ. कलाम के व्यक्तित्व को सभी लोगों को आत्मासात करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम किसी भी मजहब धर्म के नहीं बल्कि भारतीय धर्म को मानने वाले थे|संस्था के
सदस्य सुशील कुमार ने कहा खुद को कैसे संयमित सोच के साथ आगे बढ़े इसके लिए डॉ.कलाम के जीवन का अध्ययन करना होगा मौके पर डॉ.रश्मि भारती, रेणुका चौधरी ,आदित्य कुमार, अक्षत उर्फ छोटे कलाम थे,इस अवसर पर सृजन दर्पण के रंगकर्मी पुष्पा कुमारी, कुमारी मनीषा, अंजली कुमारी ,रूपा कुमारी ,रितिका कुमारी और राखी कुमारी को गीता नृत्य और नाटक के माध्यम से देश और समाज को जागरूक करने के लिए समानित भी किया गया|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें