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बुधवार, 9 दिसंबर 2020

मेरा ट्रांसफर हो जायेगा जाने दिजिए

 


















मधेपुरा। छठ पर्व की छुट्टी में घर आये आशीष कुमार आनंद डियूट्टी पर जाने से पहले सहरसा जिले के भरौली अपने ससुराल पहुंचे। ससुर सुधीर कुमार सिंह, सास रेणु देवी, चचेरे ससुर बुच्ची सिंह, धीरेन्द्र सिंह, संतोष सिंह, रामानंद सिंह, नवलकिशोर सिंह, रामसेवक सिंह, सुजेन्द्र सिंह सहित सभी नौ भाईयों में मात्र सोनी कुमारी ही एकमात्र बेटी थी। ससुर ने दामाद आशीष सिंह से आग्रह किया कि वे सोनी कुमारी और बच्ची अंशिका को छोड़ दें। दूसरी बार आने पर पत्नी व बच्ची को ले जायें। ससुर बुच्ची सिंह ने बताया कि दामाद आशीष सिंह ने जोर डालते हुए कहा कि इस बार मेरा ट्रांसफर हो रहा है। घर बदलना पड़ेगा। इसलिये जाने दिजिए। बुच्ची सिंह ने बताया कि विधाता सदा के लिए मेरे दामाद, बेटी व नातिन को छीन लिया।





मुखाग्नि देने के दौरान छलके आंसू

सुखासन गांव में नमक सत्याग्रह स्थल से दक्षिण साईड एक ही चिता पर शहीद अशीष कुमार आनंद और पत्नी सोनी कुमारी का शव का दाह संस्कार किया गया। चिता के बगल में ही  पुत्री अंशिका को दफनाया गया। जब चिता को शहीद आशीष के चचेरे भाई मुनमुन सिंह उर्फ राजकुमार ने मुखाग्नि देने लगे तो मौजूद हजारों लोगों के आंखों से आंसू छलक पड़े। सभी लोगों ने  आशीष कुमार को एक बेहतर क्रिकेटर और युवाओं के प्रेरणाश्रोत  बतला रहे थे।




तिरंगा देकर पिता को किया सम्मानित

बीएसएफ जवान आशीष कुमार आनंद को मुखाग्नि देने से पहले शहीद के पिता अवधेश कुमार सिंह को बीएसएफ के अधिकारियों ने तिरंगा देकर सम्मानित किया। इस दौरान भारत माता की जय, वंदे मातरम, शहीद आशीष अमर रहे के नारे गुंजते रहे।




शहीदी पट्टिका मेें जुड़ेगा आशीष का नाम

सदर प्रखंड के सुखासन निवासी बीएसएफ जवान आशीष कुमार आनंद का नाम शहीदी पट्टिका में जड़ेगा। संयोजक डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने बताया कि शहीद आशीष कुमार आनंद का नाम चिल्ड्रेन पार्क स्थित शहीदी पट्टिका में जड़ेगा। 



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