संपादक- आर. कुमार
बीएनएमयू में छात्र संघ के पदाधिकारीयों के साथ दुर्व्यवहार व मारपीट कर उल्टे मुकदमा फंसवाना फिर कुलसचिव द्वारा बयान देना कि कर्मचारी कलम के साथ लाठी भी रखे यह निंदनीय व अशोभनीय है। उक्त बातें एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने प्रेस बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि विवि मर्यादित विश्व शिक्षण संस्थान है। यह कोई नक्सल प्रभावित इलाका नहीं है जहां छात्रों पर हमला करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिर को हिंसा का अखाड़ा बना लूटने का प्रयास किया जा रहा है। बिना सार्वजनिक रूप से किसी पूर्व सूचना या विज्ञापन निकाले किसी भी पद पर बहाली करना सरासर गलत है। यूजीसी और राजभवन के गाइड लाइन के अनुसार विश्वविद्यालय अपनी किसी भी बहाली या टेंडर को 21 दिन पूर्व अपनी बेवसाइट के अलावे सभी दैनिक अखबार, पत्र पत्रिका व प्रोर्टल न्यूज चैनल के माध्यम से सूचना सार्वजनिक करेगी। लेकिन इंटरव्यू से पहले सिर्फ वेबसाइट पर सूचना देना कानूनन गलत है और यह विवि प्रशासन की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
एनएसयूआई इस व्यवस्था का पुरजोर विरोध करती है। साथ ही छात्र संघ के पदाधिकारी समेत अन्य छात्र नेताओं के द्वारा बहाली प्रक्रिया के विरोध का समर्थन करती है। मनीष ने कहा कि विवि अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए छात्र नेता को खदेड़ने का आदेश दी, इसलिए विवि में अराजकता का माहौल पैदा हुआ। विवि स्थापना काल से ही ऐसे तुगलकी और भ्रष्टाचार के आकंठ मे डूबे लुटेरे पदाधिकारीयों के कारण खोखला हो चुकी है। एनएसयूआई कुलाधिपति सह राज्यपाल को पत्र लिख सारे मामलो से अवगत कराएगी। साथ ही दोषी अराजक प्रोवीसी व कुलसचिव पर कारवाई करते हुए निलंबन कि मांग करेगी।
बीएनएमयू में छात्र संघ के पदाधिकारीयों के साथ दुर्व्यवहार व मारपीट कर उल्टे मुकदमा फंसवाना फिर कुलसचिव द्वारा बयान देना कि कर्मचारी कलम के साथ लाठी भी रखे यह निंदनीय व अशोभनीय है। उक्त बातें एनएसयूआई के राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने प्रेस बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि विवि मर्यादित विश्व शिक्षण संस्थान है। यह कोई नक्सल प्रभावित इलाका नहीं है जहां छात्रों पर हमला करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिर को हिंसा का अखाड़ा बना लूटने का प्रयास किया जा रहा है। बिना सार्वजनिक रूप से किसी पूर्व सूचना या विज्ञापन निकाले किसी भी पद पर बहाली करना सरासर गलत है। यूजीसी और राजभवन के गाइड लाइन के अनुसार विश्वविद्यालय अपनी किसी भी बहाली या टेंडर को 21 दिन पूर्व अपनी बेवसाइट के अलावे सभी दैनिक अखबार, पत्र पत्रिका व प्रोर्टल न्यूज चैनल के माध्यम से सूचना सार्वजनिक करेगी। लेकिन इंटरव्यू से पहले सिर्फ वेबसाइट पर सूचना देना कानूनन गलत है और यह विवि प्रशासन की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
एनएसयूआई इस व्यवस्था का पुरजोर विरोध करती है। साथ ही छात्र संघ के पदाधिकारी समेत अन्य छात्र नेताओं के द्वारा बहाली प्रक्रिया के विरोध का समर्थन करती है। मनीष ने कहा कि विवि अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए छात्र नेता को खदेड़ने का आदेश दी, इसलिए विवि में अराजकता का माहौल पैदा हुआ। विवि स्थापना काल से ही ऐसे तुगलकी और भ्रष्टाचार के आकंठ मे डूबे लुटेरे पदाधिकारीयों के कारण खोखला हो चुकी है। एनएसयूआई कुलाधिपति सह राज्यपाल को पत्र लिख सारे मामलो से अवगत कराएगी। साथ ही दोषी अराजक प्रोवीसी व कुलसचिव पर कारवाई करते हुए निलंबन कि मांग करेगी।
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