स्पेशल रिपोर्ट : राजभवन के आदेश के बाद गलत तरीके से विश्वविद्यालय में नियुक्त कर्मियों को हटाने की कवायद तेज, छात्र संगठनों ने कहा विश्वविद्यालय के मिलीभगत से हो रही अवैध कार्य - News Express Now :: Hindi News, Latest News in Hindi, Breaking News, | हिन्दी न्यूज़ लाइव

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मंगलवार, 7 अगस्त 2018

स्पेशल रिपोर्ट : राजभवन के आदेश के बाद गलत तरीके से विश्वविद्यालय में नियुक्त कर्मियों को हटाने की कवायद तेज, छात्र संगठनों ने कहा विश्वविद्यालय के मिलीभगत से हो रही अवैध कार्य

संपादक- आर. कुमार

बीएन मंडल विश्वविद्यालय में राजभवन व राज्य सरकार की सख्ती के बाद गलत तरीके से नियुक्त कर्मियों को हटाने की कवायद तेज कर आवश्यकता अनुसार कर्मियों को संविदा पर बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मियों को संविदा पर बहाल करने के लिए विवि पहले योग्य अभ्यर्थियों की सूची तैयार करेगी। इसके लिए मंगलवार को विवि परिसर स्थित प्रेक्षा गृह में 5 सदस्यीय कमेटी द्वारा अभ्यर्थियों का वॉक इन इंटरव्यू लिया गया। लेकिन जानकारी के अभाव में इंटरव्यू में काफी कम अभ्यर्थियों के पहुंचने पर विभिन्न संगठनों ने विरोध प्रकट करते हुए प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है। इस संबंध में अभाविप के रंजन यादव, एसएफआई के सारंग तनय, एनएसयूआई के निशांत यादव, प्रभात कुमार मिस्टर, अभाविप के अमोद कुमार, अभिषेक यादव एवं संजय कुमार ने कुलपति प्रो डॉ अवध किशोर राय को ज्ञापन सौंपते हुए इसमें गड़बड़ी की आशंका व्यक्त किया है। उन्होंने नए सिरे से स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर इंटरव्यू की तिथि पुन: निर्धारित करने की मांग की।



छात्र संगठनों ने आरोप लगाया है कि विवि में पीछे के दरवाजे से संविदा पर बहाली की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कुलपति को दिए आवेदन में कहा है कि विवि में संविदा पर बहाली के लिए इंटरव्यू का आयोजन तो किया गया लेकिन आज तक ना तो किसी स्थानीय समाचार पत्रों में या किसी न्यूज पोर्टल पर इसकी सूचना दी गई है। जानकारी के अभाव में विवि अंतर्गत सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल जिले के योग्य अभ्यर्थी इससे वंचित हो गए हैं। हालांकि विवि के वेबसाइट पर इंटरव्यू से संबंधित सूचना डाली गई है। लेकिन वह सूचना वेबसाइट पर कभी रहता है तो कभी गायब हो जाता है। सूचना में कनीय अभियंता, कंप्यूटर  ऑपरेटर, माली, कूक व चालक का पद तो दर्शाया गया है लेकिन रिक्ती नहीं बताई गई है। इससे प्रक्रिया में गड़बड़ी की संभावना प्रबल है। यह विवि कार्यप्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

एक तरफ विवि नियमों को ताक पर रख कर संविदा पर बहाली की प्रक्रिया अपना रही है। वहीं दूसरी तरफ विवि में बिना राज्य सरकार की अनुशंसा के गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियोंं पर गाज गिरनी तय है। इसके लिए विश्वविद्यालय को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। विश्वविद्यालय को इस संबंध में राजभवन की ओर से भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, शिक्षा विभाग ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के स्तर पर पिछले दिनों हुई कुलसचिवों की बैठक में यह मामला जोरदार तरीके से उठा था। बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि अभी भी वहां गलत तरीके से बहाल कर्मचारी कार्य कर रहे हैं।

राजभवन की ओर से भी विश्वविद्यालय को फर्जी तरीके से नियुक्त कर्मचारियों के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। राजभवन ने स्पष्ट कहा है कि विश्वविद्यालय के स्तर पर कोई नियुक्ति अपने स्तर पर नहीं की जाए। सरकार की मंजूरी के बाद ही पदों का सृजन हो। साथ ही, विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया गया है कि वे अपने वेबसाइट पर शिक्षक व कर्मचारियों का पूरा विवरण सार्वजनिक करें। इसमें सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त कर्मचारियों को ही स्थान दिए जाने का निर्देश दिया गया है। नाम सार्वजनिक होने की स्थिति में गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियों के नाम कॉलेज या विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नहीं जारी किया जा सकता है।

पिछले वर्ष विवि में जारी 86 कर्मियों की नियुक्ति से संबंधी अधिसूचना में अपना नाम नहीं देख चंदन नामक कर्मी ने कुलपति कार्यालय के सामने जहर खा कर आत्महत्या करने का प्रयास किया गया था। उसे किसी तरह डॉक्टरों ने तो बचा लिया लेकिन फिर से चंदन सहित विवि के दो दर्जन कर्मचारी जहर खाने का विवश है। इनमें पीजी विभागों में वर्षो से काम कर रहे 17 कर्मचारियों के अलावा 5 चतुर्थ वर्गीय कर्मी शामिल हैं। विवि में चंदन जैसे कर्मचारियों का कहना है कि अगर उन्हें नियमित नहीं किया गया तो वे कुलपति कार्यालय के सामने जहर खाने को विवश होंगे।


" जरूरत के अनुसार विवि में आउटसोर्सिंग व संविदा पर कर्मियों को बहाल करने का प्रावधान है। इसके लिए वॉक इन इंटरव्यू लिया गया है। इंटरव्यू के बाद पहले पैनल तैयार किया जाएगा। इंटरव्यू की सूचना विवि के वेबसाइट पर अपलोड है। "

प्रो डॉ अवध किशोर राय, कुलपति, बीएनएमयू

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