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गुरुवार, 26 जुलाई 2018

क्यों नहीं कम हो रही है फर्जी क्लीनिक का दंश, शहर में रोज हो रही है आम आदमी की मौत

रविवार की देर रात लगभग 9 बजे सदर प्रखंड के तुलसीबाड़ी गांव स्थित साधु पथ में रामकृष्ण किलनिक में सिंघेश्वर प्रखंड स्थित गौरीपुर वार्ड नंबर 4 निवासी गुलजरी बेगम की इलाज के दौरान मौत हो गई. जानकारी के अनुसार गुलजारी बेगम बीते सोमवार को अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाने रामकृष्ण किलनिक लाया गया. जहां उनका डॉक्टर संतोष कुमार के द्वारा ऑपरेशन भी किया गया. ऑपरेशन के बाद गुलजारी बेगम स्वस्थ भी होने लगी. रविवार की शाम अचानक उनके ऑपरेशन वाली जगह पर तेज दर्द होने लगा. जिस पर क्लिनिक में कार्यरत कंपाउंडर अमित कुमार ने डॉक्टर की सलाह से उसे सुई दी. सुई देने के बाद मरीज की स्थिति खराब होने लगी. जिस पर मरीज के परिजनों ने क्लिनिक में कार्यरत कर्मियों से डॉक्टर को बुलाने को कहा तथा खुद से भी डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की. मगर डॉक्टर क्लीनिक नहीं पहुंचे. इसी बीच मरीज की स्थिति बेहद खराब हो गई और उसकी मौत हो गई. मौके पर परिजनों ने बताया कि गुलजरी बेगम की गलत दवाई देने के कारण तथा डॉक्टर के समय पर नहीं पहुंचने के कारण मौत हो गई.



जानकारी के अनुसार आक्रोशित परिजनों ने मौत के बाद सोमवार कि सुबह क्लिनिक में जमकर तोड़फोड़ किया तथा क्लिक में कार्यरत कर्मियों को भी पीटा. क्लिनिक में कार्यरत कर्मियों को आक्रोशित लोगों को देख अपनी जान बचाकर भागना पड़ा. वही परिजनों का क्लीनिक की तोड़फोड़ से भी जब गुस्सा शांत नहीं हुआ तो परिजनों ने एनएच 107 मधेपुरा पूर्णिया मुख्य मार्ग के बीचो-बीच शव को रखकर जाम कर दिया. सोमवार की सुबह लगभग 8 बजे से सड़क को जाम किया गया. मृतक के परिजन इतनी आक्रोशित थे कि उन्होंने पैदल यात्रियों को भी नहीं छोड़ा. उसे भी सड़क पार करने से रोका गया. परिजनों का कहना था कि डॉक्टर संतोष कुमार को गिरफ्तार कर उस पर कार्यवाही की जाए. परिजनों ने बताया कि रामकृष्ण बचाकर बिना किसी निबंधन का चलाया जा रहा है. वही परिजनों ने डॉक्टर पर किडनी निकालने का भी आरोप लगाया है.

ज्ञात हो कि गुलजरी देवी कि पति मो रहीम पेंटर का कार्य करते हैं. गुजरी देवी को चार बेटी और एक बेटा है. जिसमें 7 वर्षीय बेटी खुशी, 6 वर्षीय बेटी नेमती, 5 बेटी वर्षीय रहमती, 3 बेटी वर्षीय जमजम तथा 2 वर्षीय पुत्र महफूज है. गुलजारी देवी की मौत के बाद उनके पांचो बच्चे की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. वह अपनी मां की शब से लिपटकर सिर्फ रो रहे थे. खासकर सबसे छोटे पुत्र को यह तक पता नहीं कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं रही. वह तो सिर्फ अपनी मां को पुकार रहा था. घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना था कि आखिर डॉक्टर की गलती की सजा बच्चे क्यों भुगते. इन पांचों बच्चे की देखभाल अब कौन करेगा.

सड़क जाम होने के की सूचना मिलते ही सदर थाने से भारी पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंची और आक्रोशित लोगों को शांत कराने का कोशिश किया. मगर लोग मानने को तैयार नहीं थे. लोगों का कहना था कि जब तक डॉक्टर संतोष कुमार को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा तब तक आवाजाही बाधित रहेगी. मौके पर सदर अंचलाधिकारी भी पहुंचकर लोगों को शांत कराने की कोशिश की. मगर लोग फिर भी नहीं माने. अंचलाधिकारी ने परिजनों को आश्वासन दिया कि परिजन क्लिनिक तथा डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाएं तथा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजें. जिसके बाद डॉक्टर एवं क्लीनिक पर कार्यवाही की जाएगी. परिजनों के द्वारा मुआवजे की मांग पर अंचलाधिकारी ने कहा कि यह मौत निजी क्लिनिक में हुई है, न की किसी आपदा से. इसलिए इस तरह के मौत में सरकार के द्वारा कोई भी मुआवजा नहीं दिया जाता है. अगर मुआवजा दिया भी जाएगा तो क्लीनिक के द्वारा ही दिया जाएगा. मुआवजा  प्राकृतिक आपदा, सड़क दुर्घटना तथा अन्य किसी तरह की आपदा वाली को ही दिया जाता है. ऐसी घटनाओं में मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर मृतक मजदूरी कर रही होंगी तो संगठित मजदूर के द्वारा इन्हें मुआवजा दिया जा सकता है. अंचलाधिकारी के आश्वासन के बाद भी परिजन शांत नहीं हुए और उनका आक्रोश जारी रहा. इस बीच प्रशासन के द्वारा बिना बल प्रयोग किए परिजनों को शांत कराने की हर संभव कोशिश की गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आम जनों की परेशानी छात्र छात्राओं को हो रही दिक्कतें को देखते हुए प्रशासन ने जिले के उच्च अधिकारी से बात कर जबरन लगभग 12 बजे सड़क जाम तुड़वाया. उसके बाद सदर अस्पताल से शव वाहन को बुलाकर शब को सदर अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. उसके बाद सड़क को खाली कराकर सड़क यातायात को चालू किया गया.

गुलजरी बेगम के मौत के बाद परिजनों, डॉक्टरों एवं कर्मियों में पूरी रात मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई. जानकारी के अनुसार गुलजरी बेगम की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर से 12 लाख मुआवजे की मांग की. जिस पर डॉक्टर तैयार नहीं हुए. मामले को रफा-दफा करने का सिलसिला रात भर जारी रहा. 12 लाख से पांच लाख, पांच लाख से तीन लाख चलता रहा. जिस पर परिजन तैयार नहीं हुए. परिजनों को उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण वह क्रोधित हो गए और सोमवार की सुबह किलनिक में जमकर तोड़फोड़ की.रामकृष्ण क्लीनिक के संचालक डॉक्टर संतोष कुमार सदर अस्पताल में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. लोगों ने बताया कि उक्त क्लीनिक में इससे पूर्व भी कई बार इस तरह की घटना हुई है. इस बार की तरह भी पूर्व में भी मामले को पैसों के बल पर रफा-दफा कर दिया गया था.

एनएच 107 सहरसा पूर्णिया मुख्य मार्ग शहर का मुख्य मार्ग होने के कारण रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही बनी रहती है. सड़क जाम होने के कारण आम जनों को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जिस वक्त सड़क जाम किया गया, उस वक्त कई लोगों को अपने कार्यालय तथा छात्र छात्राओं को विद्यालय जाने का समय होता है. सड़क बाधित होने के कारण ऐसे लोगों को अपने कार्य स्थल पर जाने में रुकावट हुई. खासकर विद्यालय जा रहे हैं या फिर विद्यालय से लौटने वाले बच्चों को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

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