"पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादों को,उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नही होते !"
मैं आज बात करने वाला हूँ पूर्णिया (बिहार) निवासी प्रिया सिन्हा जी की । प्रिया सिन्हा जी का हिन्दी साहित्य एवं चित्रकारी से गहरा लगाव आज उन्हें खुद की अलग पहचान दिला रही है,जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन रही है ।
विद्यालय के दिनों से ही प्रिया अच्छी चित्रकारी की वजह से आस-पड़ोस और दोस्तों में लोकप्रिय रहीं हैं ।
कहते हैं कि जब आप किन्हीं के नजरों में चुभने लगो तो समझो कि आप सही दिशा मे जा रहे हो । ठीक यही इनके साथ भी हुआ, जब कुछ लोगों द्वारा हौसला बढ़ाने के बजाय ये कहना शुरू कर दिया कि इस क्षेत्र में आगे कुछ नहीं होने वाला तो उन दिनों ये हिम्मत हार भी सकती थीं,लेकिन इन्होंने उन लोगों को अपनी प्रतिभा से जबाब देने की ठानी और चंद दिनों पहले हीं पूर्णिया के एक जाने माने (एस.डी.एन) न्यूज चैनल के द्वारा इनका साक्षात्कार लिया गया जो कि यूट्यूब पर भी मौजूद है ।
इस साक्षात्कार ने प्रिया जी में एक नई उर्जा भर दी और उन्हें ऐसा लगने लगा कि इनके द्वारा लिया गया फैसला सही था ।
प्रिया सिन्हा जी कई बार सम्मानित भी की जा चुकीं हैं । इन्हें 2016 में 'बिहार गौरव सम्मान' के लिए चयनित किया गया एवं 2017 में इनकी दो 'साझा काव्य संग्रह' प्रकाशित हुई एवं 'काव्य सागर सम्मान' से दिल्ली में सम्मानित भी किया गया ।
1999 से इनकी लेखनी की शुरूआत हुई थी जो अब तक जारी है ।
इनकी खास रूची नारी सशक्तीकरण व सामाजिक कुरीतियों पर है । इन मुद्दों पर बेबाकी से ये अपनी रचनाएं लिखतीं हैं । विभिन्न न्यूज पॉर्टल्स एवं प्रिंट मीडिया में इनकी रचनाएं प्रकाशित व पसंद की जातीं हैं । वहीं इनकी चित्रकारी को देख कोइ अंजान भी 'वाह' बोल उठे।
सचमुच,प्रतिभा किसी बड़े शहर व बड़े अवसर की मोहताज नहीं होती । प्रतिभा के धनी अपनी प्रतिभा को घर बैठे भी एक नया आयाम दे सकते हैं, जिसका एक ताजा उदाहरण प्रिया जी ने पेश किया है । यदि इन्हें इस क्षेत्र में सही मार्गदर्शन मिलता रहे तो एक दिन राष्ट्रीय स्तर तक अपना परचम जरूर लहराएंगी।
प्रिया जी कहतीं हैं :-
"दो कदम ही सही पर अपने दम पर चलने दो मुझे;
मैं 'दिया' ही सही,पर इस तूफां में भी जलने दो मुझे"
रिपोर्ट- गौरव प्रसाद
मैं आज बात करने वाला हूँ पूर्णिया (बिहार) निवासी प्रिया सिन्हा जी की । प्रिया सिन्हा जी का हिन्दी साहित्य एवं चित्रकारी से गहरा लगाव आज उन्हें खुद की अलग पहचान दिला रही है,जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन रही है ।
विद्यालय के दिनों से ही प्रिया अच्छी चित्रकारी की वजह से आस-पड़ोस और दोस्तों में लोकप्रिय रहीं हैं ।
कहते हैं कि जब आप किन्हीं के नजरों में चुभने लगो तो समझो कि आप सही दिशा मे जा रहे हो । ठीक यही इनके साथ भी हुआ, जब कुछ लोगों द्वारा हौसला बढ़ाने के बजाय ये कहना शुरू कर दिया कि इस क्षेत्र में आगे कुछ नहीं होने वाला तो उन दिनों ये हिम्मत हार भी सकती थीं,लेकिन इन्होंने उन लोगों को अपनी प्रतिभा से जबाब देने की ठानी और चंद दिनों पहले हीं पूर्णिया के एक जाने माने (एस.डी.एन) न्यूज चैनल के द्वारा इनका साक्षात्कार लिया गया जो कि यूट्यूब पर भी मौजूद है ।
इस साक्षात्कार ने प्रिया जी में एक नई उर्जा भर दी और उन्हें ऐसा लगने लगा कि इनके द्वारा लिया गया फैसला सही था ।
प्रिया सिन्हा जी कई बार सम्मानित भी की जा चुकीं हैं । इन्हें 2016 में 'बिहार गौरव सम्मान' के लिए चयनित किया गया एवं 2017 में इनकी दो 'साझा काव्य संग्रह' प्रकाशित हुई एवं 'काव्य सागर सम्मान' से दिल्ली में सम्मानित भी किया गया ।
1999 से इनकी लेखनी की शुरूआत हुई थी जो अब तक जारी है ।
इनकी खास रूची नारी सशक्तीकरण व सामाजिक कुरीतियों पर है । इन मुद्दों पर बेबाकी से ये अपनी रचनाएं लिखतीं हैं । विभिन्न न्यूज पॉर्टल्स एवं प्रिंट मीडिया में इनकी रचनाएं प्रकाशित व पसंद की जातीं हैं । वहीं इनकी चित्रकारी को देख कोइ अंजान भी 'वाह' बोल उठे।
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प्रिया सिन्हा द्वारा बनाये गए चित्र |
सचमुच,प्रतिभा किसी बड़े शहर व बड़े अवसर की मोहताज नहीं होती । प्रतिभा के धनी अपनी प्रतिभा को घर बैठे भी एक नया आयाम दे सकते हैं, जिसका एक ताजा उदाहरण प्रिया जी ने पेश किया है । यदि इन्हें इस क्षेत्र में सही मार्गदर्शन मिलता रहे तो एक दिन राष्ट्रीय स्तर तक अपना परचम जरूर लहराएंगी।
प्रिया जी कहतीं हैं :-
"दो कदम ही सही पर अपने दम पर चलने दो मुझे;
मैं 'दिया' ही सही,पर इस तूफां में भी जलने दो मुझे"
रिपोर्ट- गौरव प्रसाद